प्रिय सामान्य लोग,
हम आपके सामाजिक दायित्व बोध को नमन करते हैं; आप जिस प्रकार सामाजिक नियम और संस्कारों का पालन करते हैं , सच में प्रशंसनीय है।
एक मौका नहीं छोड़ते आप हमें 'ख़ास' अहसास कराने में। कहीं हम सड़क पर दिख जाएँ, तो जिस प्रकार आप हम पर हँसते हैं , जैसे हमें भिन्न नामों से बुलाते हैं, जिस तरह हमारा मज़ाक बनाते हैं, हमें अहसास होता है, कि हम वाकई भाग्यशाली हैं, कि हमें आपका इतना ध्यान और सम्मान मिल रहा है।
कभी कभी आप हमारे प्रति कुछ ज्यादा ही सहानुभूतिशील हो जाते हैं। हमें देख कर आप लोग कानाफूसी करते हैं, और हमारे विषय पर आलोचना करना आपकी बुद्धिमानी का परिचय देती है, अगर हम गिर गए हैं, फिर भी आप में से कोई सहायता करने के लिए आगे नहीं आता।
हम काटते नहीं हैं, फिर भी आप स्वयं और बच्चों को हमसे दूर रखते हैं, जैसे कि हम शेर हों, आपका शुक्रिया।
आप हमसे डरते हैं?.... हमसे?.. क्या इंसान को इंसान से डरना चाहिए?..... विस्तार से पढ़ें..