अर्जुन एक गृहिणी को 'कामचोर' कहे जाने पर सख्त ऐतराज़ जताते हैं। अगर कोई प्रोफेशनल जीवन से दूर रहकर अपनी मेहनत से एक घर को सजाती है, इसका मतलब ये नहीं की वह "घर पर बैठी है" घर के काम में शारीरिक मेहनत ज्यादा लगती है, और आप जितना जिम्मेदारी से घर सम्हालते हैं आपका घर, परिवार उतना ही उन्नति करता है, जैसे आप की कंपनी की ग्रोथ में अपना सहयोग देते हैं, तभी वह उन्नति करती है ।
यह फिल्म इस प्रथा को ठुकराता है की औरत काम काजी हो सकती है, लेकिन एक मर्द कभी काम छोड़ कर घर नहीं सम्हाल सकता। यहां एक औरत अपने पति से उसकी इंसानियत के लिए प्यार करती है, उसे अपनाती है, उसके पैसे या कर्म क्षेत्र में पोजीशन की वजह से नहीं। यह खुद में एक बहुत बड़ी प्रेरणा है।विस्तार से पढ़ें....