परीक्षा के नाम से ही अकसर हमारे दिमाग पर डर पैदा हो जाता है। हमें पसीना आने लगता है। मानसिक तनाव का होना स्वाभाविक है परीक्षा के समय। पर ऐसा क्यों होता है?
हम अकसर दूसरों की उम्मीदों के बोझ तले दब जातें है। बच्चों पर माता-पिता, परिवार और दोस्तों के उम्मीदों पर खरा उतरने का दबाव होता है। हमारी वार्षिक परीक्षा निर्णय करती है, कि हम अगली कक्षा में जाएंगे या नहीं। ऐसे प्रेशर के कारण बच्चों के शारीरिक विकास पर भी असर होता है, जैसे नींद न आना, भूख न लगना, अधिक परेशानी, यह सब मानसिक दबाव का असर हैं। और दबाव से तनाव होता है, और मानसिक स्वस्थ बिगड़ जाता है, नतीजा-परीक्षा से डर, परीक्षा में गलतियां।
इस लिए नरेंद्र मोदी जी ने इस साल के विद्यार्थियों के लिए 'मन की बात' पर एक प्रेरणा सूचक सन्देश दिया हैं, और आशा करते हैं, कि बच्चों को इससे ज़रूर लाभ होगा।
उनके साथ भारत रत्न सचिन तेंदुलकर जी भी हैं जो बताते हैं,
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