मैं कई गन्जों को कंघे बेचता हूँ
एक सौदागर हूँ सपने बेचता हूँ
काटता हूँ मूछ पर दाड़ी भी रखता
और माथे के तिलक तो साथ रखता
नाम अल्ला का भी शंकर का हूँ लेता
है मेरा धंधा तमन्चे बेचता हूँ
एक सौदागर हूँ ...
धर्म का व्यापार मुझसे पल रहा है
दौर अफवाहों का मुझसे चल रहा है
यूँ नहीं तो शह्र सारा जल रहा है
चौंक पे हर बार झगड़े बेचता हूँ
एक सौदागर हूँ ...
एक ही गोदाम में है माल सारा
गाड़ियाँ, पत्थर, के झन्डा हो के नारा
हर गली, नुक्कड़ पे सप्लाई मिलेगी
टोपियों के साथ चमचे बेचता हूँ
एक सौदागर हूँ ...
स्वप्न मेरे ...: एक सौदागर हूँ सपने बेचता हूँ ...