यूँ ही मुझको सता रही हो क्या
तुम कहीं रूठ कर चली हो क्या
उसकी यादें हैं पूछती अक्सर
मुझसे मिलकर उदास भी हो क्या
ज़िन्दगी मुझसे अजनबी हो क्या
वक़्त ने पूछ ही लिया मुझसे
बूढ़े बापू की तुम छड़ी हो क्या
तुमको महसूस कर रहा हूँ मैं
माँ कहीं आस पास ही हो क्या
दर्द से पूछने लगी खुशियाँ
एक लम्हा था अब सदी हो क्या
इक पुरानी रुकी घड़ी हो क्या