अम्मा का दिल टूट गया
दरवाज़े पे दस्तक दी
अन्दर आया लूट गया
मिट्टी कच्ची होते ही
मटका धम से फूट गया
मजलूमों की किस्मत है
जो भी आया कूट गया
सीमा पर गोली खाने
अक्सर ही रंगरूट गया
पोलिथिन आया जब से
बाज़ारों से जूट गया ...
8 नवम्बर 2016
दरवाज़े पे दस्तक दी
अन्दर आया लूट गया
मिट्टी कच्ची होते ही
मटका धम से फूट गया
मजलूमों की किस्मत है
जो भी आया कूट गया
सीमा पर गोली खाने
अक्सर ही रंगरूट गया
पोलिथिन आया जब से
बाज़ारों से जूट गया ...
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बचपन फरीदाबाद, १६ वर्ष दुबई, जीवन के अनुभव को http://swapnmere.blogspot.com में कहने का प्रयास.
Dपुरखों का घर छूट गया,....अम्मा का दिल टूट गया,...दरवाज़े पे दस्तक दी,...अन्दर आया लूट गया, ... मिट्टी कच्ची होते ही,....मटका धम से फूट गया,....एवं,....सीमा पर गोली खाने को,....अक्सर ही रंगरूट गया,....और अंत में,...पॉलीथिन आया जबसे,...बाज़ारों से जूट गया,.....वाह क्या बात है आपकी सर,... बहुत बढ़िया|
1 सितम्बर 2017
बहुत सही, चंद लाइनों मे मज़ेदार कविता
9 नवम्बर 2016