गीत
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मन मन्दिर में दीप जला के,
फैला दो तुम उजियारा।
आत्मज्ञान की ज्योति जगा के,
दूर भगा दो अंधियारा।
बिना न इसके शांति होगी ,
समझ नहीं तू पाता है ।
माया के चक्कर में पड़ के ,
काहे समय गंवाता है ।।
अब भी समय संभल जा पगले,
क्यों फिरता मारा-मारा ।
आत्मज्ञान की ज्योति जगाकर,
दूर भगा दो अंधियारा ।।
ईश्वर की भक्ति से अब तुम,
अपने मन को शुद्ध करो ।
शांत बैठ कर खोज के खुद को,
बुद्ध के जैसा बुद्ध करो ।
ऐसा जतन करो अब जग में,
जन्म नहीं हो दोबारा ।
आत्मज्ञान की ज्योति जगा के,
दूर भगा दो अंधियारा।
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राजीव नामदेव ,'राना लिधौरी',
टीकमगढ़ मप्र
मोबाइल-9893520965