shabd-logo

घर से घबराकर उपवन में आए हम.....

10 अक्टूबर 2022

26 बार देखा गया 26

घर से घबराकर उपवन में आए हम ।

पाया फूलों में अपने से ज्यादा गम ।।


कुछ मुरझाए कुछ डाली से टूट चुके थे,

कुछ डाली से चिपके थे पर सूख चुके थे।


सुन रखा था फूल सदा ही मुस्काते है,

नही दुखों में अपना शीश झुकाते है।


शीश उठाकर जब हमने ऊपर को देखा,

थी सूरज के माथे पर कुछ गम की रेखा।


सुन रखा था सूरज है तेजस्वी राजा,

उसके आसान पर न कोई और विराजा।


किंतु अचानक सूरज को मेघों ने घेरा,

पूरे नभ पर अपना ही अधिकार बिखेरा।


उसी शाम ढलते सूरज ने मुझे बताया,

एक दिन जीवन में ऐसा भी आएगा।


हो जाएगा क्षीण अहम तेरे यौवन का,

तू भी मुझसा शक्तिहीन हो जायेगा।


जब मैंने शशिकर को देखा रातों में रोते,

सारी दुनियां के गम को कंधों पर ढोते।


जीवन है सुख दुख का एक अजीब झमेला,

है कौन यहां पर जिसने सुख दुःख नहीं है झेला।


लेकर नई आस उपवन से बाहर आए,

और नही कभी जीवन में दुःख से हम घबराए।।

                            -- महेन्द्र पाल सिंह


Mahendra Singh की अन्य किताबें

10
रचनाएँ
दिल की गहराईयों से ........
0.0
भाग दौड़ भरी जिंदगी जीते हुए, काफी व्यस्तता के दौरान जिंदगी के कुछ खास पलों ने मुझे जो भी अनुभव दिए है उन्हे मैंने दिल की गहराइयों से शब्दोें को खीच कर लिपि बद्ध करने का प्रयास किया है।
1

दो तरह के इंसान

15 सितम्बर 2022
1
1
1

मैने देखा जगत का अजब रूप है, दो तरह के है इंसान संसार में। कोई खोया चमक में है धन रूप की, कोई खोया है निस्वार्थ ही प्यार में।। एक तरफ धूप में जल रहा है कोई, एक तरफ ठंडी छावों का विस्तार है। कोई जीते क

2

हो जरूरत जिसे भी मेरे प्यार की

15 सितम्बर 2022
1
1
0

हो जरूरत जिसे भी मेरे प्यार की, वो करके हिफ़ाज़त बचा ले मुझे। मै तो बेरंग बिगड़ी सी तस्वीर हूं, रंग भर के कोई भी सजा ले मुझे।। ज़माने ने जो हमपे ढाये सितम, मै इन्सान से एक पत्थर बना। अब हो औकात जिसम

3

इस तरह साथ देना मेरे दोस्तों

17 सितम्बर 2022
1
0
0

इस तरह साथ देना मेरे दोस्तों, हर कदम पर सहारा तुम्हारा मिले। मर भी जाऊं अगर, मेरी इच्छा है ये, मेरी अर्थी को कंधा तुम्हारा मिले।। इस तरह साथ देना मेरे दोस्तों.... मेरी जीवन की नैया की पतवार तुम, हो ख

4

फूलों का जीवन

19 सितम्बर 2022
0
0
0

फूलों का जीवन भी क्या जीवन होता है । प्रातः किरण में हंसते, खिलते, मुस्काते है। दोपहरी में धीरे धीरे मुरझाते है। और रात होते होते गुलशन रोता है।।1।। फूलों का जीवन भी क्या जीवन होता है ।। कुछ डालों पर

5

क्या करोगे ?

18 सितम्बर 2022
0
0
0

जो स्वयं जलता उसे अंगार देकर क्या करोगे ? लिख रहा जो आंसुओं से स्वयं की बीती कहानी। याद बनकर रह गई जो एक धुंधली सी निशानी।। उस व्यथित को तुम व्यथा का भार देकर क्या करोगे ? जो स्वयं जनता उसे..... भेद

6

घर से घबराकर उपवन में आए हम.....

10 अक्टूबर 2022
2
1
0

घर से घबराकर उपवन में आए हम । पाया फूलों में अपने से ज्यादा गम ।। कुछ मुरझाए कुछ डाली से टूट चुके थे, कुछ डाली से चिपके थे पर सूख चुके थे। सुन रखा था फूल सदा ही मुस्काते है, नही दुखों में अपना शीश झ

7

पीड़ाओं को अपने जीवन का कल्याण बना बैठा हूं...

10 अक्टूबर 2022
2
1
1

पीड़ाओं को अपने जीवन का कल्याण बना बैठा हूं. टूटी आशाओं को सपनो का महमान बना बैठा हूं। उलझन की हर लहर चूमकर अपने पास बुला लेता हूं, झरते आंसू से ही अपने सब त्योहार मना लेता हूं। हर पत्थर को अपने मंदि

8

प्रेम - संसार का सबसे बड़ा पाप

21 नवम्बर 2022
0
0
0

प्रेम ईश्वर का दूसरा रूप माना गया है। धार्मिक ग्रंथों, वेद, पुराण, शास्त्र आदि सब इस बात का समर्थन करते है। अंग्रेजी में भी एक कहावत है - Love is God. अनेक संत महात्माओं ने भी प्रेम को ईश्वर प्राप्ति

9

लड़कियां बेवफा नहीं होती .....

26 जनवरी 2023
1
0
0

भारत देश का भविष्य सही अर्थों में बालिकाओं पर ही निर्भर है। क्योंकि ये बालिकाएं ही संस्कारी और शिक्षित भविष्य प्रदान करती है। कहा जाता है कि किसी भी इंसान की प्रथम गुरु उसकी मां ही होती है। यदि मां सं

10

मैंने सोचा ना था ........

27 जनवरी 2024
2
2
1

मैंने सोचा न था यूं बदल जायेंगे। यूं मेरे नाम से लोग जल जाएंगे।। इस भरी भीड़ में जिनको अपना कहा। उम्र भर साथ जिनके मैं चलता रहा ।। मेरे वक्त के इस बुरे दौर में, अजनबी की तरह वो निकल जाएंगे ।। 1 ।। मैं

---

किताब पढ़िए