मैंने सोचा न था यूं बदल जायेंगे।
यूं मेरे नाम से लोग जल जाएंगे।।
इस भरी भीड़ में जिनको अपना कहा।
उम्र भर साथ जिनके मैं चलता रहा ।।
मेरे वक्त के इस बुरे दौर में,
अजनबी की तरह वो निकल जाएंगे ।। 1 ।।
मैंने सोचा ना था ........
देख करके मुझे जब इशारा किया ।
जितनी सामर्थ्य थी बस सहारा दिया ।।
ठोकरें भी मिले अब तो कुछ गम नही,
लड़खड़ाते हुए खुद संभल जाएंगे ।। 2 ।।
मैंने सोचा ना था ........
अब दिली चाहतों का जमाना गया।
वक्त के साथ चलता पुराना, नया ।।
जख्म जैसा भी हो, दर्द कैसा भी हो,
मुस्कुराते हुए दिन ये टल जाएंगे ।। 3 ।।
मैंने सोचा ना था ........
अपने लहजे के कारण ही बदनाम है।
अपनी अच्छाइयों से परेशान है ।।
अपने लहज़े में थोड़ा जहर घोलकर,
वक्त के साथ खुद भी बदल जाएंगे।। 4 ।।
मैंने सोचा ना था ........
गलतियों पर मेरी कुछ भी कह लो मुझे।
बोझ के तौर पर अब न झेलो मुझे ।।
मुट्ठियों की कसावट को ढीला करो,
रेत के कण के जैसे निकल जाएंगे ।। 5 ।।
मैंने सोचा ना था ........