फूलों का जीवन भी क्या जीवन होता है ।
प्रातः किरण में हंसते, खिलते, मुस्काते है।
दोपहरी में धीरे धीरे मुरझाते है।
और रात होते होते गुलशन रोता है।।1।।
फूलों का जीवन भी क्या जीवन होता है ।।
कुछ डालों पर लटके कुछ गिर जाते है,
नही किसी के काम कभी फिर आते है।
लगता है जैसे सब सो जाते है,
गुलशन से बिछड़े फिर सब खो जाते है।।
है कौन यहां जो दुख में दुखी नहीं होता है।।2।।
फूलों का जीवन भी क्या जीवन होता है ।