बिछड़कर तुमसे मेरे दिल का, क्या हाल है बतलाए।
बस दुआ करना कि, तेरी याद ना आए।
रात के साये में जब जुगनू भी सो जाए।
चाँदनी भी चाँद के आगोश हो जाए।
दूर पीपल पे कोई चकवा जो बतलाए।
तब दुआ करना कि, तेरी याद ना आए।।
कभी होठों पे तेरे जो मेरा ये नाम आ जाए।
हसी बारिसों से भीगी यादें शाम आ जाए।
हो उठे तन्हा और ये दिल मचल जाए।
तब दुआ करना कि, तेरी याद ना आए।।
कोशिशें तुमने भी तो की बहुत मुझको भुलाने की।
अधूरी रह गई जो चाहते थी प्यार पाने की।
मगर फिर भी कभी नींदों में जो तेरी,
मेरा ख्वाब आ जाए।
तब दुआ करना कि, तेरी याद ना आए।।
कभी पलटेगी पन्ने तूँ, अपने दिल की यादों के।
मेरे साये नजर आएंगे, उन बिखरे गुलाबों में।
और थम जाएगी साँसे, जो मेरी बात चल जाए।
तब दुआ करना कि, तेरी याद ना आए।।
- अजीतसिंह चारण
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