तेरे बिन अब गीत कहाँ
अब गजले रास नहीं आती, अफसाने गाली लगते हैं।
दिल के सब कोने तो हमको, अब खाली खाली लगते हैं।
और लगते हैं सारे मौसम, जैसे कुदरत का ताना।
तेरे बिन अब गीत कहाँ और बिन तेरे अब क्या गाना।1।
अश्कों के माफिक लगती है, अब तो सारी बरसातें।
बिना चाँद दे खोई खोई सी लगती सारी रातें।
और लगती सब गालियां सूनी, जिनमे था तेरा आना।
तेरे बिन अब गीत कहाँ और बिन तेरे अब क्या गाना।2।
आँखों में है ख्वाब तुम्हारे, दिल में तेरी यादें हैं।
तूँ क्या जाने बिन तेरे हम, कितने आधे-आधे हैं।
चाहता हूँ तेरी यादों में, फिर से खो जाना।
तेरे बिन अब गीत कहाँ और बिन तेरे अब क्या गाना।3।
तेरे बिन सुना जीवन, और आँखों में बरसाते है।
जीवन जाने कहाँ खो गया, चलती केवल साँसे है।
कोई दुआ अब काम ना आए, और किसी क्या समझाना।
तेरे बिन अब गीत कहाँ और बिन तेरे अब क्या गाना।४।
- अजीतसिंह चारण
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