shabd-logo

बेटियाँ

19 नवम्बर 2016

67 बार देखा गया 67

बेटियाँ


ये कैसा चमन बनाया है

हमने खुद को यूं नीचे गिराया है

हमने फरिश्ते थे हम अब दरिंदे हुए

कितना नीचे यूं खुद को गिराया हमने

कलि आज खिलने से डरने लगी है

सांस चलने से पहले ही थमने लगी है

बेटियां एक विधाता की थाती सी है

जो जन्मने से पहले ही मरने लगी है

जन्म दे के भी मान गिराया है

हमने बेटियों को क्यूं वस्तु बनाया है

हमने जो दुर्गा, जो काली और लक्ष्मी है

चंद पैसो की खातिर जलाया है

हमने आंसू गुडिया के भी हम धो ना सके

निर्भया की चिता पर भी रो ना सके

बस कैंडल जला के मनाते हैं

मातम दरिंदो को फांसी भी हो ना सके

हृदय में घुटन और सांसो में आहें

किस जोश से मैं उठाउं निगाहे

मेरे देश में आज लुटती है बेटी

रे कान्हा मैं कैसे दिलाउं पनाहे

रे कान्हा कन्हैया रे तू है मुरारी

बढाई जो तूने द्रोपदी की सारी

उसी आज अबला की फिर से बढाजा

रे गोविंद गोकुल में फिर से तू आजा 


- अजीतसिंह चारण

लिंक रोड़, रतनगढ़ (चूरु)

मो. 9462682915

अजीत सिंह चारण की अन्य किताबें

प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

अति सुन्दर

20 नवम्बर 2016

1

सिचवेसन है

19 नवम्बर 2016
1
1
1

सिचवेसन है - "एक लड़की सामने से आ रही है भारतेन्दु हरिश्चंद्र - नव उज्ज्वल ललाट, हीरक नैन सोहते है अधरों पे मुस्कान, अंग सबै को मोहते है जब जब बाले तोरे से, नैन ये टकरावत है मोरे मन में देवी, एक नया दर्द जगावत है मैथिलीशरण गुप्त :- तुम्हें देख कर लग रहा,

2

तेरे बिन अब गीत कहाँ

19 नवम्बर 2016
1
1
1

तेरे बिन अब गीत कहाँ अब गजले रास नहीं आती, अफसाने गाली लगते हैं। दिल के सब कोने तो हमको, अब खाली खाली लगते हैं। और लगते हैं सारे मौसम, जैसे कुदरत का ताना। तेरे बिन अब गीत कहाँ और बिन तेरे अब क्या गाना।1। अश्कों के माफिक लगती है, अब तो सारी बरसातें। बिना चाँद दे खो

3

गीत

19 नवम्बर 2016
0
0
0

तुम रंज न करना दुनिया वालों, मेरी बेतकक्लूफ सी हंसी पर, मुझे आदत है मुस्कुराने की।१। ये प्यार मोहब्बत की बात, ये चाहत की रंगीन गलियां,सौ बार गया इन राहों पे, पर मुझे मिला ना मन बसिया, जग को आदत है ठुकराने की, मुझे आदत है मुस्कुराने की।२। चाहे लाख कोई करले बोर, चाहे लाख कोई खाये, हमे स्वपन दिखा क

4

गीत

19 नवम्बर 2016
0
0
0

बिछड़कर तुमसे मेरे दिल का, क्या हाल है बतलाए। बस दुआ करना कि, तेरी याद ना आए। रात के साये में जब जुगनू भी सो जाए। चाँदनी भी चाँद के आगोश हो जाए। दूर पीपल पे कोई चकवा जो बतलाए। तब दुआ करना कि, तेरी याद ना आए।। कभी होठों पे तेरे जो मेरा ये नाम आ जाए। हसी बारिसों से भीगी यादें शाम आ

5

बेटियाँ

19 नवम्बर 2016
0
2
1

बेटियाँ ये कैसा चमन बनाया है हमने खुद को यूं नीचे गिराया है हमने फरिश्ते थे हम अब दरिंदे हुए कितना नीचे यूं खुद को गिराया हमने कलि आज खिलने से डरने लगी है सांस चलने से पहले ही थमने लगी है बेटियां एक विधाता की थाती सी है जो जन्मने से पहले ही मरने लगी है जन्म दे के भ

6

लॉकडाउन और महफिल-ए-मयखाना

27 दिसम्बर 2021
1
1
1

<p>*लॉकडाउन मे महफिल-ए-मयखाना*</p> <p> &n

---

किताब पढ़िए