गीता औरविज्ञान गीता के शब्द आज भी हैं, गूँजते गगन मेंकृष्ण की वाणी है छिपी ध्वनि-तरंग में।हे विज्ञान ! तू ही बन जा, ईश का आविष्कारक,एकत्र कर, वह संचित शब्द-कोष पुनश्च।। ऊर्जा नष्ट न होती, यह है विज्ञान का सिद्धांतध्वनि-ऊर्जा का संभव रूपांन्तरण मात्र ।खोज लो कृष्ण के शब्द, उदगम क