shabd-logo

गज़ल

16 मई 2022

26 बार देखा गया 26
बहर-बहरे मुजतस मुसमन मखबून महजूफ
मीटर- मुफाइलुन फायलातुन मुफाइलुन फलुन
1 2 1 2   1 1 2 2   1 2 1 2।   2 2

                गज़ल
हमें मिला इक मौका जहान में जैसे,
पर्दा गिरा रब का आसमान में जैसे l

भला बुरा अब किसका कहूं यहां आना ,
सवार हो अब ताला मकान में जैसे l

हलाल होकर आता यहां इशारा कर ,
गिना वही अब जाए महान में जैसे l

कमा कभी उससे नाज ना यहां आकर ,
सभी कला बिखरे इक समान में जैसे l

सभी हंसा मुझको साथ आज ले जाते,
बिका अभी इक धीरज दुकान में जैसे l



            ---- अनुराग पाल "धीरज"-----

Monika Garg

Monika Garg

बहुत सुंदर ग़ज़ल कृपया मेरी रचना पढ़कर समीक्षा दें https://shabd.in/books/10080388

17 मई 2022

2
रचनाएँ
मेरी शुरूवात
0.0
यह पुस्तक लेखक के प्रारंभिक प्रयास को दर्शाएगी l

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए