बहर-बहरे मुजतस मुसमन मखबून महजूफ
मीटर- मुफाइलुन फायलातुन मुफाइलुन फलुन
1 2 1 2 1 1 2 2 1 2 1 2। 2 2
गज़ल
हमें मिला इक मौका जहान में जैसे,
पर्दा गिरा रब का आसमान में जैसे l
भला बुरा अब किसका कहूं यहां आना ,
सवार हो अब ताला मकान में जैसे l
हलाल होकर आता यहां इशारा कर ,
गिना वही अब जाए महान में जैसे l
कमा कभी उससे नाज ना यहां आकर ,
सभी कला बिखरे इक समान में जैसे l
सभी हंसा मुझको साथ आज ले जाते,
बिका अभी इक धीरज दुकान में जैसे l
---- अनुराग पाल "धीरज"-----