प्राणों के पावन धरती पर
हमने तुमको वरण किया है।
भौतिक सब दुनियावी रस्में
वेदी में संग निभाई है।
टूटे न कभी वादें कसमें
हमने जो मिल कर खाई है॥
मैंने तेरा, तुमने मेरा
हाथ पकड़ अनुसरण किया है।
हमने तुमको वरण किया है॥
पृष्ठ हृदय के खुले हुए है
पाठ हमें सब पढ़ना होगा।
भाव भरें जीवन कविता को
नित्य दिवस रच गढ़ना होगा॥
मुख ये वैदिक मंत्रों-चारण
पढ़के दृग जागरण किया है।
हमने तुमको वरण किया है॥
सिक्त करो उर स्पंदन साथी
रिक्त नहीं ऋतु रहने पाये।
इस 'राजन' की लघुकथा तुम्हीं
संसारिक प्रेम न बहने पाये॥
मूर्त हृदय! प्राणों की मणिका
जपते हुए धारण किया है।
हमने तुमको वरण किया है॥
©-राजन सिंह