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हमने तुमको वरण किया है

9 सितम्बर 2021

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प्राणों के पावन धरती पर
हमने तुमको वरण किया है।

भौतिक सब दुनियावी रस्में
वेदी में संग निभाई है।
टूटे न कभी वादें कसमें
हमने जो मिल कर खाई  है॥
मैंने तेरा, तुमने मेरा
हाथ पकड़ अनुसरण किया है।
हमने तुमको वरण किया है॥

पृष्ठ हृदय के खुले हुए है
पाठ हमें सब पढ़ना होगा।
भाव भरें जीवन कविता को
नित्य दिवस रच गढ़ना होगा॥
मुख ये वैदिक मंत्रों-चारण
पढ़के दृग जागरण किया है।
हमने तुमको वरण किया है॥

सिक्त करो उर स्पंदन साथी
रिक्त नहीं ऋतु रहने पाये।
इस 'राजन' की लघुकथा तुम्हीं
संसारिक प्रेम न बहने पाये॥
मूर्त हृदय! प्राणों की मणिका
जपते हुए धारण किया है।
हमने तुमको वरण किया है॥

©-राजन सिंह
Anita Singh

Anita Singh

बहुत खूब

30 दिसम्बर 2021

10
रचनाएँ
गीत-स्मिता
4.2
मैं शून्य हूँ तुम श्वाँस हो मेरे दशा की न्यास हो। तुम ज़िंदगी तुम बंदगी सुरभित समर उछ्वास हो।। मेरे दशा की न्यास हो।। उल्लास तुमसे आजकल कंचन धनक में रंग है। औचक महक कर देह संदल कर रहा हिय दंग है। मुश्किल बहुत है प्रेम में लेकिन सुगम मलमास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। मैं अनवरत ही ताकता हूँ अनगिनत इच्छा लिये। तुमसे कहूँ क्या? सोचता हूँ पत्य जो तुमने दिये। संचय अनय जब कर लिया तब निर्जला उपवास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। नेपथ्य में सब तथ्य तेरे है हमारा कुछ नहीं। मंजूर मुझको शर्त सब अभिसार तेरा हो वहीं। बन शृंखला भव प्रेम की चंचल हृदय में वास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। तुम मेघ सी तन स्वेद सी बौछार बन बैरिन ढ़रे। उथला हुआ मन ले बढ़ा दृग माधुरी आश्विन भरे। अनुपात में मछली जलज पर रीझती उर रास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। नव पांखुरी सी ओष्ठ सिंदूरी झलक झिलमिल नथा। चढ़ना क्षितिज सोपान है गढ़ने युगल परिणय कथा।। अधिकार है तुम पे मुझे प्रतिपाल पर विश्वास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। ©- राजन सिंह
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मन के शीशमहल में

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हमने तुमको वरण किया है

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