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ताप ओढ़े भाप बढ़ता

23 नवम्बर 2021

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किस अगम ने
किस निगम का
ताप ओढ़े भाप बढ़ता।

हम विलग होते अगर तो
उर हमारे पास रहता।
हम सहज होते अगर तो
प्रेम का नित न्यास रचता।।

है हृदय आहत बहुत पर
नित्य लौकिक चाप धरता।।
किस अगम ने
किस निगम का......

है कँटीली
सृष्टि कानन
पर नहीं कोई यहाँ पर।
मार्ग पथरीले मिले सब
तो कदम रखना कहाँ पर।।

सोचता अपभ्रंश दैनिक
सोच विचलित आप करता।
किस अगम ने
किस निगम का......

उम्र की कितनी परत को
तोड़ फिर जीवन नवल कर।
वर्ष कितने ही बदल ली
देह के मृदभांड को भर।।

तव नवांकुर खिल उठेगा ज़िंदगी सौ उन्वान गढ़ता।
किस अगम ने
किस निगम का
ताप लेकर भाप बढ़ता।।

©-राजन-सिंहarticle-image
Jyoti

Jyoti

बढ़िया

31 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

अच्छा

30 दिसम्बर 2021

10
रचनाएँ
गीत-स्मिता
4.2
मैं शून्य हूँ तुम श्वाँस हो मेरे दशा की न्यास हो। तुम ज़िंदगी तुम बंदगी सुरभित समर उछ्वास हो।। मेरे दशा की न्यास हो।। उल्लास तुमसे आजकल कंचन धनक में रंग है। औचक महक कर देह संदल कर रहा हिय दंग है। मुश्किल बहुत है प्रेम में लेकिन सुगम मलमास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। मैं अनवरत ही ताकता हूँ अनगिनत इच्छा लिये। तुमसे कहूँ क्या? सोचता हूँ पत्य जो तुमने दिये। संचय अनय जब कर लिया तब निर्जला उपवास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। नेपथ्य में सब तथ्य तेरे है हमारा कुछ नहीं। मंजूर मुझको शर्त सब अभिसार तेरा हो वहीं। बन शृंखला भव प्रेम की चंचल हृदय में वास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। तुम मेघ सी तन स्वेद सी बौछार बन बैरिन ढ़रे। उथला हुआ मन ले बढ़ा दृग माधुरी आश्विन भरे। अनुपात में मछली जलज पर रीझती उर रास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। नव पांखुरी सी ओष्ठ सिंदूरी झलक झिलमिल नथा। चढ़ना क्षितिज सोपान है गढ़ने युगल परिणय कथा।। अधिकार है तुम पे मुझे प्रतिपाल पर विश्वास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। ©- राजन सिंह
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