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उत्तर देना संभव ना था

11 सितम्बर 2021

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प्रश्न अनोखे थे लेकिन क्यों?

उत्तर देना संभव ना था।

घड़ी-घड़ी मन उचट रहा प्रिय

भेद हृदय के खुल ना जाए।

घड़ी-घड़ी दृग भटक रहा प्रिय

प्रेमी जन मिलजुल ना जाए॥

प्रश्न उचित होकर भी भौतिक

उत्तर का कुछ अनुभव ना था॥

प्रश्न अनोखे थे लेकिन........

अर्चन कितने राहों में है

कुछ काँटे, कुछ कंकर-पत्थर।

बाधाओं के बाँध तोड़ने

आएंगे प्रेमी उसी डगर॥

प्रश्न जटिल हो तर्क करें नित

उत्तर लौकिक उत्सव ना था।

प्रश्न अनोखे थे लेकिन.......

प्रेम प्रतिज्ञा लेकर 'राजन'

चले मिलन को अपनी प्रियतम।

मधुर-मृदुल बातें करें अधर

हर ले सारे के सारे गम॥

प्रश्न अद्धभुत अनुपम सारे

उत्तर गंधक नीरव ना था॥

प्रश्न अनोखे थे लेकिन......

©-राजन सिंह

Anita Singh

Anita Singh

सुन्दर

30 दिसम्बर 2021

Papiya

Papiya

👌👌👌👌👌

22 नवम्बर 2021

10
रचनाएँ
गीत-स्मिता
4.2
मैं शून्य हूँ तुम श्वाँस हो मेरे दशा की न्यास हो। तुम ज़िंदगी तुम बंदगी सुरभित समर उछ्वास हो।। मेरे दशा की न्यास हो।। उल्लास तुमसे आजकल कंचन धनक में रंग है। औचक महक कर देह संदल कर रहा हिय दंग है। मुश्किल बहुत है प्रेम में लेकिन सुगम मलमास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। मैं अनवरत ही ताकता हूँ अनगिनत इच्छा लिये। तुमसे कहूँ क्या? सोचता हूँ पत्य जो तुमने दिये। संचय अनय जब कर लिया तब निर्जला उपवास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। नेपथ्य में सब तथ्य तेरे है हमारा कुछ नहीं। मंजूर मुझको शर्त सब अभिसार तेरा हो वहीं। बन शृंखला भव प्रेम की चंचल हृदय में वास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। तुम मेघ सी तन स्वेद सी बौछार बन बैरिन ढ़रे। उथला हुआ मन ले बढ़ा दृग माधुरी आश्विन भरे। अनुपात में मछली जलज पर रीझती उर रास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। नव पांखुरी सी ओष्ठ सिंदूरी झलक झिलमिल नथा। चढ़ना क्षितिज सोपान है गढ़ने युगल परिणय कथा।। अधिकार है तुम पे मुझे प्रतिपाल पर विश्वास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। ©- राजन सिंह
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उत्तर देना संभव ना था

11 सितम्बर 2021
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<p>प्रश्न अनोखे थे लेकिन क्यों?</p> <p>उत्तर देना संभव ना था।</p> <p>घड़ी-घड़ी मन उचट रहा प्रिय</p>

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