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सो रहा बदरी में' चंदा

10 सितम्बर 2021

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झम झमाझम मेघ बरसे बूँद सावन के बहाने-
सो रहा बदरी में' चंदा
नींद ओढ़े चाँदनी में।।

देखिए एकांत उनका
लग रहा एकादशी है।
भींग लड़की मेघ से
करती छमक रस्साकशी है।।
मूढ़ दीवानी घुमड़ कर झूमती मधुश्रावणी में।
सो रहा बदरी में' चंदा.....

बूँद बारिश की लगे
जैसे मनोहर राग बजता।
वृंद है प्रारब्ध का
इसमें अनेकों नाग बसता।।
मेघ की बौछार अंतिम पी न आये अश्विनी में।
सो रहा बदरी में' चंदा.....

बोलती मृदु द्रुत मुलायम
मोहती सबका हृदय है।
दृग लगे मंदिर की' घंटी
श्लाघ्य युवती का प्रणय है।।
संग वह वाराणसी तक चल पड़ी यश बंदनी में।
सो रहा बदरी में चंदा.......

पाँव नूपुर से लिपट
गह नीर छमके छम-छमाछम।
लाल चूनर ओढ़ धानी
देह गमके गम-गमागम।।
जब पिया ने प्रेम आलिंगन भरा विभु रौशनी में।
सो रहा बदरी में चंदा.......

©- राजन सिंह
Jyoti

Jyoti

👌👌👌

31 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

सुन्दर

30 दिसम्बर 2021

10
रचनाएँ
गीत-स्मिता
4.2
मैं शून्य हूँ तुम श्वाँस हो मेरे दशा की न्यास हो। तुम ज़िंदगी तुम बंदगी सुरभित समर उछ्वास हो।। मेरे दशा की न्यास हो।। उल्लास तुमसे आजकल कंचन धनक में रंग है। औचक महक कर देह संदल कर रहा हिय दंग है। मुश्किल बहुत है प्रेम में लेकिन सुगम मलमास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। मैं अनवरत ही ताकता हूँ अनगिनत इच्छा लिये। तुमसे कहूँ क्या? सोचता हूँ पत्य जो तुमने दिये। संचय अनय जब कर लिया तब निर्जला उपवास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। नेपथ्य में सब तथ्य तेरे है हमारा कुछ नहीं। मंजूर मुझको शर्त सब अभिसार तेरा हो वहीं। बन शृंखला भव प्रेम की चंचल हृदय में वास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। तुम मेघ सी तन स्वेद सी बौछार बन बैरिन ढ़रे। उथला हुआ मन ले बढ़ा दृग माधुरी आश्विन भरे। अनुपात में मछली जलज पर रीझती उर रास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। नव पांखुरी सी ओष्ठ सिंदूरी झलक झिलमिल नथा। चढ़ना क्षितिज सोपान है गढ़ने युगल परिणय कथा।। अधिकार है तुम पे मुझे प्रतिपाल पर विश्वास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। ©- राजन सिंह
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