झम झमाझम मेघ बरसे बूँद सावन के बहाने-
सो रहा बदरी में' चंदा
नींद ओढ़े चाँदनी में।।
देखिए एकांत उनका
लग रहा एकादशी है।
भींग लड़की मेघ से
करती छमक रस्साकशी है।।
मूढ़ दीवानी घुमड़ कर झूमती मधुश्रावणी में।
सो रहा बदरी में' चंदा.....
बूँद बारिश की लगे
जैसे मनोहर राग बजता।
वृंद है प्रारब्ध का
इसमें अनेकों नाग बसता।।
मेघ की बौछार अंतिम पी न आये अश्विनी में।
सो रहा बदरी में' चंदा.....
बोलती मृदु द्रुत मुलायम
मोहती सबका हृदय है।
दृग लगे मंदिर की' घंटी
श्लाघ्य युवती का प्रणय है।।
संग वह वाराणसी तक चल पड़ी यश बंदनी में।
सो रहा बदरी में चंदा.......
पाँव नूपुर से लिपट
गह नीर छमके छम-छमाछम।
लाल चूनर ओढ़ धानी
देह गमके गम-गमागम।।
जब पिया ने प्रेम आलिंगन भरा विभु रौशनी में।
सो रहा बदरी में चंदा.......
©- राजन सिंह