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मन के शीशमहल में

5 सितम्बर 2021

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मन के शीशमहल में अष्टक
शुभ मूरत स्थापित कर ली।

तुमको प्रेम किया है जबसे हौले हौले नींद उड़े।
धड़कन मंद हुई हैं लेकिन रक्त देह से तीक्ष्ण लड़े।
है श्वेतांशु सी नयन प्याले
वहीं स्याह काजल ज़र ली।
मन के शीशमहल में......

रौनक बहुत था संग तेरे आतिश नयन के चाह में।
मध्य पयोधी मोती ढ़ूढ़े फिसला मीन की आह में।।
बनके चकोर नित्य पुकारे
जल तृष्णा अपने स्वर ली।
मन के शीशमहल में.....

तीव्रतम प्रेम तरंगदैर्ध्य में बह न जाये कहीं हृदय।
सागर सीप शगुन अश्लेषा नक्षत्र जल से मृदुल प्रणय।।
राशिचक्र जबसे उचराई
तबसे मुद आसन धर ली।।

मन के शीशमहल में अष्टक
शुभ मूरत स्थापित कर ली।।

©-राजन-सिंह
रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

अति सुन्दर 👌 👌 👌

1 जनवरी 2022

Anita Singh

Anita Singh

बहुत सुन्दर

30 दिसम्बर 2021

10
रचनाएँ
गीत-स्मिता
4.2
मैं शून्य हूँ तुम श्वाँस हो मेरे दशा की न्यास हो। तुम ज़िंदगी तुम बंदगी सुरभित समर उछ्वास हो।। मेरे दशा की न्यास हो।। उल्लास तुमसे आजकल कंचन धनक में रंग है। औचक महक कर देह संदल कर रहा हिय दंग है। मुश्किल बहुत है प्रेम में लेकिन सुगम मलमास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। मैं अनवरत ही ताकता हूँ अनगिनत इच्छा लिये। तुमसे कहूँ क्या? सोचता हूँ पत्य जो तुमने दिये। संचय अनय जब कर लिया तब निर्जला उपवास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। नेपथ्य में सब तथ्य तेरे है हमारा कुछ नहीं। मंजूर मुझको शर्त सब अभिसार तेरा हो वहीं। बन शृंखला भव प्रेम की चंचल हृदय में वास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। तुम मेघ सी तन स्वेद सी बौछार बन बैरिन ढ़रे। उथला हुआ मन ले बढ़ा दृग माधुरी आश्विन भरे। अनुपात में मछली जलज पर रीझती उर रास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। नव पांखुरी सी ओष्ठ सिंदूरी झलक झिलमिल नथा। चढ़ना क्षितिज सोपान है गढ़ने युगल परिणय कथा।। अधिकार है तुम पे मुझे प्रतिपाल पर विश्वास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। ©- राजन सिंह
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मन के शीशमहल में

5 सितम्बर 2021
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