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एक लहर सी दौड़ रही है

12 सितम्बर 2021

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एक लहर सी
दौड़ रही है
मद्धिम-मद्धिम
अंदाज़ लिए।

बड़ा एहसान
तुम्हारा प्रिय
जो तू मेरे
नित पास रहे।
आज कहूँ मैं
तुझे भला क्या?
जो तू मेरे
कुछ खास रहे॥

धूप सुनहरी
नैनो में भर
गगन छू रही
परवाज़ लिए॥

स्वप्न सलोना
पाँव दबा कर
आये जाये
नयन तले से।
कुछ मोहक सी
बात बनाता
धुंधली याद
लगे भले से॥

रात बहुत है
गुमसुम-गुमसुम
उर अंतस में
आवाज़ लिए॥

ठहरा 'राजन'
उन राहों पर
जहाँ तुम्हारा
शुभ नाम लिखा।
चंद कहानी
बन जाती है
द्रुम मोहक छवि
अनुरूप दिखा॥

श्वास तुम्हारी 
नित दिन गाये
संगीत स्मिता
धुन साज लिए।

©-राजन सिंह
Jyoti

Jyoti

बढ़िया

31 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

बढ़िया

30 दिसम्बर 2021

10
रचनाएँ
गीत-स्मिता
4.2
मैं शून्य हूँ तुम श्वाँस हो मेरे दशा की न्यास हो। तुम ज़िंदगी तुम बंदगी सुरभित समर उछ्वास हो।। मेरे दशा की न्यास हो।। उल्लास तुमसे आजकल कंचन धनक में रंग है। औचक महक कर देह संदल कर रहा हिय दंग है। मुश्किल बहुत है प्रेम में लेकिन सुगम मलमास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। मैं अनवरत ही ताकता हूँ अनगिनत इच्छा लिये। तुमसे कहूँ क्या? सोचता हूँ पत्य जो तुमने दिये। संचय अनय जब कर लिया तब निर्जला उपवास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। नेपथ्य में सब तथ्य तेरे है हमारा कुछ नहीं। मंजूर मुझको शर्त सब अभिसार तेरा हो वहीं। बन शृंखला भव प्रेम की चंचल हृदय में वास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। तुम मेघ सी तन स्वेद सी बौछार बन बैरिन ढ़रे। उथला हुआ मन ले बढ़ा दृग माधुरी आश्विन भरे। अनुपात में मछली जलज पर रीझती उर रास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। नव पांखुरी सी ओष्ठ सिंदूरी झलक झिलमिल नथा। चढ़ना क्षितिज सोपान है गढ़ने युगल परिणय कथा।। अधिकार है तुम पे मुझे प्रतिपाल पर विश्वास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। ©- राजन सिंह
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मन के शीशमहल में

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उत्तर देना संभव ना था

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<p>प्रश्न अनोखे थे लेकिन क्यों?</p> <p>उत्तर देना संभव ना था।</p> <p>घड़ी-घड़ी मन उचट रहा प्रिय</p>

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एक लहर सी दौड़ रही है

12 सितम्बर 2021
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ताप ओढ़े भाप बढ़ता

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