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तुम याद आयी

7 सितम्बर 2021

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झूलती झूला सखी सब देख कर तुम याद आयी।
झिलमिलाते धुंधली रसमय डगर तुम याद आयी।।

खलबली से बाग रहता
देखिये चहुँओर जगमग।
डाल पर झूला चढ़ा कर,
झूमता सरदार डगमग।।
है हृदय हलचल अटल सी, नग प'त्थर तुम याद आती।
झिलमिलाते धुंधली रसमय........

चित्त झंझावत प्रवल है
नीम फल मुखपान जैसा।
आम सा अनुभव है' मीठा
लग रहा मुलतान जैसा।।
देखता रंगीन चुनरी तब समर तुम याद आती।
झिलमिलाते धुंधली रसमय........

एक कतरा मेघ पागल
प्रेम पौखर भर विकल था।
शुभ समय के भाल रचता
प्रीति का अनुपम ग़ज़ल था।।
जब हवन वेदी सजी माधुर्य सदर तुम याद आयी।
झिलमिलाते घुंधली रसमय.......

©-राजन-सिंह
Jyoti

Jyoti

👌

31 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

बहुत सुन्दर

30 दिसम्बर 2021

10
रचनाएँ
गीत-स्मिता
4.2
मैं शून्य हूँ तुम श्वाँस हो मेरे दशा की न्यास हो। तुम ज़िंदगी तुम बंदगी सुरभित समर उछ्वास हो।। मेरे दशा की न्यास हो।। उल्लास तुमसे आजकल कंचन धनक में रंग है। औचक महक कर देह संदल कर रहा हिय दंग है। मुश्किल बहुत है प्रेम में लेकिन सुगम मलमास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। मैं अनवरत ही ताकता हूँ अनगिनत इच्छा लिये। तुमसे कहूँ क्या? सोचता हूँ पत्य जो तुमने दिये। संचय अनय जब कर लिया तब निर्जला उपवास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। नेपथ्य में सब तथ्य तेरे है हमारा कुछ नहीं। मंजूर मुझको शर्त सब अभिसार तेरा हो वहीं। बन शृंखला भव प्रेम की चंचल हृदय में वास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। तुम मेघ सी तन स्वेद सी बौछार बन बैरिन ढ़रे। उथला हुआ मन ले बढ़ा दृग माधुरी आश्विन भरे। अनुपात में मछली जलज पर रीझती उर रास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। नव पांखुरी सी ओष्ठ सिंदूरी झलक झिलमिल नथा। चढ़ना क्षितिज सोपान है गढ़ने युगल परिणय कथा।। अधिकार है तुम पे मुझे प्रतिपाल पर विश्वास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। ©- राजन सिंह
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मन के शीशमहल में

5 सितम्बर 2021
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11 सितम्बर 2021
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