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मैं सन्यासी प्रेम गणित का

8 सितम्बर 2021

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मैं सन्यासी प्रेम गणित दर, प्रतियोगी मन सार दिया।
नितदिन ढ़ूँढ़ें दिल पुस्तक में
तुमने कितना प्यार दिया।।

कोण, त्रिकोण बना ज्यामिति के, उसमें ढ़ूँढ़ु वक्र रेखा।
नित उलझ पाइथागोरस से, सूत्रों में प्रिय छवि देखा।।
नव जीवन में भौतिक होगा, अच्छा तुने विचार दिया।
नितदिन ढ़ूँढ़ें दिल पुस्तक में
तुमने कितना प्यार दिया।।

बीजगणित के सूत्र अनोखे, लघु ब्रैकेट दीर्घ, मध्यम।
लॉगैरिथम्स के पाई पर, चढ़ रोता है दिल हरदम।।
ऐसे कैसे? नियम बिसारें, जिसपर जीवन वार दिया।
नितदिन ढ़ूँढ़ें दिल पुस्तक में
तुमने कितना प्यार दिया।।

अल्फा, बीटा, गामा जाने कैसे? हल हो त्रिकोणमिति।
क्षेत्रफल, आयतन के चैप्टर में खोकर करता दिल इति।।
सांख्यिकी, द्वघात, वलय, बहुपद सबने मिल तन ज्वार दिया।
नितदिन ढ़ूँढ़ें दिल पुस्तक में
तुमने कितना प्यार दिया।।

कला, रसायन, भूगोल भौतिकी भूल गया सब पढ़ना।
जबसे जीवन गणित पढ़ा है, प्रेम पुनित आगे बढ़ना।।
बहुलक जैसे डोल रहा मन, तुने प्रेम बौछार दिया।
नितदिन ढ़ूँढ़े दिल पुस्तक में
तुमने कितना प्यार दिया।।

©- राजन सिंह
Jyoti

Jyoti

👌👌

31 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

बहुत सुन्दर

30 दिसम्बर 2021

10
रचनाएँ
गीत-स्मिता
4.2
मैं शून्य हूँ तुम श्वाँस हो मेरे दशा की न्यास हो। तुम ज़िंदगी तुम बंदगी सुरभित समर उछ्वास हो।। मेरे दशा की न्यास हो।। उल्लास तुमसे आजकल कंचन धनक में रंग है। औचक महक कर देह संदल कर रहा हिय दंग है। मुश्किल बहुत है प्रेम में लेकिन सुगम मलमास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। मैं अनवरत ही ताकता हूँ अनगिनत इच्छा लिये। तुमसे कहूँ क्या? सोचता हूँ पत्य जो तुमने दिये। संचय अनय जब कर लिया तब निर्जला उपवास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। नेपथ्य में सब तथ्य तेरे है हमारा कुछ नहीं। मंजूर मुझको शर्त सब अभिसार तेरा हो वहीं। बन शृंखला भव प्रेम की चंचल हृदय में वास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। तुम मेघ सी तन स्वेद सी बौछार बन बैरिन ढ़रे। उथला हुआ मन ले बढ़ा दृग माधुरी आश्विन भरे। अनुपात में मछली जलज पर रीझती उर रास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। नव पांखुरी सी ओष्ठ सिंदूरी झलक झिलमिल नथा। चढ़ना क्षितिज सोपान है गढ़ने युगल परिणय कथा।। अधिकार है तुम पे मुझे प्रतिपाल पर विश्वास हो। मेरे दशा की न्यास हो।। ©- राजन सिंह
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मन के शीशमहल में

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मैं सन्यासी प्रेम गणित का

8 सितम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">मैं सन्यासी प्रेम गणित दर, प्रतियोगी मन सार दिया।</span></div><d

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<p>प्रश्न अनोखे थे लेकिन क्यों?</p> <p>उत्तर देना संभव ना था।</p> <p>घड़ी-घड़ी मन उचट रहा प्रिय</p>

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12 सितम्बर 2021
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22 नवम्बर 2021
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<p>याद तुम्हें तो होगा प्रिय! दिल से अस्सी घाट, शरद ऋतु का.</p> <p>गाये थे जो नगमें मिलके, बैठी' साइ

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ताप ओढ़े भाप बढ़ता

23 नवम्बर 2021
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<div>किस अगम ने</div><div>किस निगम का</div><div>ताप ओढ़े भाप बढ़ता।</div><div><br></div><div>हम विलग

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