विषय _ कविता चौसर का दांव """""""""""""""""" मोहब्बत थी या यूं ही एक पल का झुकाव था ! कुछ उम्र ही ऐसी थी कुछ उस वक्त का ताव था !! दरिया तो पार करने की तमन्ना थी बहुत _ हम क्या करे जब न कोई पतवार न नाव था ! उधेड़बुन में जिंदगी कुछ यूं गुजर र
दरअसल लौकी, लौकी नही होती, वो आपकी बीबी की इज्जत का सवाल होती है ! आप पूरी हिम्मत करके लौकी का एक एक निवाला गले से नीचे उतारते है ! बीबी सामने बैठी होती है ! जानना चाहती है लौकी कैसी बनी ! आप बीबी का मन रखने के लिये झूठ बोलना चाहते हैं पर लौकी झूठ बो
Yha milenge aapko majedar or bilkul nye chutkule
विद्युत विभाग में कार्य करते हुए अनुभवों का संग्रह।
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