कुछ चीजें अनुभव से भी परे होती हैं। कभी-कभी अनुभव की ये पोटली गलत भी साबित हो जाती है। जिन चीजों का अनुभव भी नहीं उन्हीं यादों के अधूरे पन्नो को कविताओं के रूप में लाने का एक प्रयास !
कुछ बेहतरीन कविताओं का संग्रह
जीवन में किसी के अधरों पर मुस्कान लाने से श्रेष्ठ और कोई काम नहीं हो सकता है । इस किताब के माध्यम से मैंने एक छोटा सा प्रयास किया है । आशा है कि यह किताब पाठकों को पसंद आयेगी
यह कहानी दो बन्दरो की है जो अत्यंत शैतान थे उसकी शैतानी से पूरा जंगल त्रस्त था पर एक दिन उनको एक आम की गुठली मिलती है और वह आम के स्वप्न में खो जाते है । और सोचते है आम बड़ा होगा हम आम खायेंगे और बड़े बड़े स्वप्न । और वह उस गुठली को भूमि में गाड़ते है प
सरकारी कार्य प्रणाली किस तरह कार्य करती है । एक कलेक्टर किस तरह व्यवस्था को सुधारना चाहता है लेकिन पूरी व्यवस्था ही उस कलेक्टर को "सुधार" देती है । इस प्रक्रिया में विधायक जी की भूमिका भी बड़ी शानदार रहती है । इन सबको हास्य व्यंग्य के रूप में इस कहा
किसी भी विषय को देखने का लेखिका का एक अलग ही नजरिया है, जिससे हास्य का जन्म तो होता है पर वह सोचने को मजबूर करता है। किसी के माथे पर चिंता की लकीर डालना आसान है, पर मुख पर मुस्कराहट की रेखा खींचना मुश्किल।। मुस्कराकर सोचने को मजबूर होने के लिए पढ़े-
इस किताब में हास्य व्यंग्य से संबंधित 30 कहानियां हैं । आज के जमाने में जब आदमी चारों तरफ से परेशान हैं तब उसके होठों को एक मुस्कान देना सबसे पुण्य का काम है । विभिन्न कहानियों के द्वारा यह कार्य करने का प्रयास किया गया है । उम्मीद है कि यह किताब आपक
रामखिलावन एक सीधा साधा गांव का युवक है पर उसने बहुत ही जल्दी पोस्ट ग्रेजुएट पूरी की साथ ही बीएड भी पूरा किया और वही एक सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर भी बन गया, उसने इतिहास में PhD भी कर लिया , सब कुछ अच्छा था , पर सबसे बड़ी समस्या थी उसकी शादी ,व
मसकरी बुंदेली (दोहा संकलन) बुंदेली के श्रेष्ठ समकालीन 20 दोहाकारों के 100 से अधिक बुंदेली भाषा में लिखे दोहे पढ़िएगा संपू - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ मप्र भारत
सामाजिक, राजनैतिक , पारिवारिक, वैचारिक, नैतिक, चारित्रिक आदि विभिन्न विषयों पर हास्य व्यंग्य के रूप में 50 कहानियों की यह पुस्तक सतरंगी इंद्रधनुष की तरह है जो आपके अधरों पर मुस्कान लाएगी, दिल को गुदगुदाएगी, कटाक्ष करेगी , कुरीतियों पर चोट करेगी