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हिंदी

16 सितम्बर 2018

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में हिंदी हू

कही माला को बनाने वाला धागा हू में,

तो कही माथे की बिंदी हू

में हिंदी हू !

में पहले थी , अब हू ,और कल

भविश्य हू !

है में कालजयी हू ,

में हिंदी हू !

नीत नई खोजो की सीढिया चढ़ती

में तो कभी न थकती !

क्षमा राधे की अन्य किताबें

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सूरज

15 सितम्बर 2018
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हर सुबह जो सबसे पहले सबको जगआने आता और फिर चिडिओ को नित नवीन अवसर दे जाता दे जाता वो सबको नए संकल्प नए सपने नित और दे जाता वो नित नई उर्जा वो उनको करने की पूरा !

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हिंदी

16 सितम्बर 2018
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में हिंदी हू कही माला को बनाने वाला धागा हू में, तो कही माथे की बिंदी हू में हिंदी हू ! में पहले थी , अब हू ,और कल भविश्य हू ! है में कालजयी हू ,में हिंदी हू ! नीत नई खोजो की सीढिया चढ़ती में तो कभी न थकती !

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किसान

30 नवम्बर 2018
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दिन भर सूरज से बाते करता , खुद भूखा रहता हे फिर भी कर्मरत - हे वह निरंतर दिन भर तपता ,सूरज की गर्मी में देखता - क्या दम सूरज में की दे दे वो शाम को दो दाने वो ान के भर दे शायद वो पेट उनका भी जो - बैठे हे एकटक बाट ज़ोह किसी अपने की (ये ऐसी केसी ह

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यह भी होता हे यहीं

6 दिसम्बर 2018
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जब धुप लगी उसको तो , छाया कर दी उसने अपने ही सर का पल्लु उड़ा जब भुख लगी उसको ,तब पेट उसका भरा ,अपने हिस्से में आई आधी रोटी भी उसको खिला किन्तु - आश्चर्य हे या बिडम्ब्ना - इतने बड़े घर में, नहीं मिली उन दोनों को ,अपना हि सर ढकने की थोड़ी सि भी

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परछाई

2 जनवरी 2019
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जब रहता कोई नहीं संग तब भी संग रहती परछाई तन्हा जब सभी छोड़ देते फिर भी साथ रहती परछाई भोर से लेकर साँझ ढले तक साथ में रहती परछाई खुशी में तो साथ रहते सभी ,किन्तु धुप में साथ रहती केवल परछाई

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