होलिया में धुलिया उड़ाई रेये रंगों भरी होली आई रे...ये रंग बिरंगे चेहरेये छोटे छोटे छोरेपिचकारी लेकर दौरेभर भर पिचकारी रंग मारे रे मारे रे मारे रेहोलिया में धुलिया उड़ाई रेये रंगों भरी होली आई रे...ये म
तन को रंग दिया, रंग अलग-अलग ।भाईचारे का कैसे होगा संचार।मन के मैल धुले नहीं जीवन में,फीका है होली का त्यौहार।।किस रंग के तुम हो मतवाले,जो जीवन में तुम्हे चाहिए।नीला गगन से रंगा गगन है,नीले रंग में तुम
बड़े सियाने कहते हैं हमेशाकी दुःख के बाद सुखसुबह के बाद शाम होती हैसत्य कभी हारता नहींहो सकता है कि इस दौड़ती हुई जिंदगी मेंकभी सत्य के साथ जीने वाले को सामना करना पड़े परेशानी का तब संयम के
धरोहर है ये प्रकृति की,इस तरह न बहनें दे,तरस जाया करोगे तुम,व्यर्थ में न बहाओं,जल संरक्षण के इस युद्ध में,जल रक्षक बन के दिखाओ। पानी है अनमोल बहुत,बेस किमती है ख
नया नया कली आओ मनाए होली गाँव गाँव गली दबे पाँव चली रंगो की चोली हर दिशा घोली ब्रिज में कृष्ण राधा संग हो ली रंग उत्सव में डूबा गीत संगीत पली महका उपवन सा घर द्वा