कमबख्त दिल
कहाँ कभी कुछ सुनता था..
झलका देता था ज़ज्बात
आँखों को रुला देता था..
अब उतार दिया इसे शीशि में
ढक्कन भी बंद कर लिया..
ना साँस लेता है ना धड़कता है
यूँ दिल को शीशि में कैद कर लिया..
~माहिरा चौधरी "मीत" ✍️
22 अक्टूबर 2021
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मैं एक पेशेवर चोर हूँ, लफ्ज़ों से दिल चुराना पेशा है मेरा। ~माहिरा चौधरी "मीत"✍️D