आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने हालिया दौर में कश्मीर घाटी में बढ़ती हिंसक गतिविधियों और सेना के ऑपरेशन के बारे में विस्तार से बात करते हुए एक इंटरव्यू में कहा कि आतंकियों के साथ होने वाले एनकाउंटरों से वह भी व्यथित होते हैं. द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ''हमें इसमें कोई खुशी नहीं मिलती. लेकिन यदि आप हमसे लड़ना चाहते हैं तो बदले में हम आपसे अपनी पूरी ताकत से लड़ेंगे. कश्मीरियों को यह बात समझनी चाहिए कि सुरक्षाबल इतने क्रूर नहीं हैं...इसके लिए आप सीरिया और पाकिस्तान को देखिए...वे इस तरह की स्थितियों से निपटने के लिए टैंक और वायु शक्ति का प्रयोग कर रहे हैं. हमारी सेनाएं उकसाए जाने के बावजूद यथासंभव प्रयास करती हैं कि आम लोगों को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं हो.''
कश्मीरी युवाओं के मसले पर उन्होंने बोला, ''मुझे मालूम है कि वे नाराज हैं लेकिन सुरक्षा बलों पर हमला करना और पत्थर फेंकना कोई तरीका नहीं है.'' पेश है जनरल रावत के इंटरव्यू की 10 अहम बातें:
1. यह चिंता की बात है कि कश्मीरी युवा बंदूक उठा रहे हैं...और जो लोग उनसे कह रहे हैं कि ये रास्ता उनको आजादी की तरफ ले जाता है...वो वास्तव में उनको भ्रमित कर रहे हैं. मैं कश्मीरी युवा से कहना चाहता हूं कि आजादी संभव नहीं है. ऐसा कभी नहीं होगा...आप बंदूक क्यों उठा रहे हैं? हम हमेशा उनसे लड़ते रहेंगे जो आजादी के ख्वाहिशमंद और पृथकतावादी हैं. आजादी जैसा कुछ कभी भी होने वाला नहीं है.
2. हम इस बात को बहुत महत्व नहीं देते कि सेना के साथ एनकाउंटर में कितने आतंकी मारे गए हैं? ये संख्याएं इसलिए मेरे लिए मायने नहीं रखतीं क्योंकि ये चक्र लगातार चलता रहेगा. नए आतंकियों को भर्ती किया जाएगा. मैं जोर देकर केवल यह कहना चाहता हूं कि इन सबके जरिये कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है. आप सेना से नहीं लड़ सकते.
3. मैं यह समझ नहीं पाता कि लोग बड़ी संख्या में हमारे ऑपरेशन में बाधा पहुंचाने क्यों आ जाते हैं? इसके लिए उनको कौन उकसाता है? यदि वे चाहते हैं कि आतंकियों को मारा नहीं जाए तो उन्हें उनके पास जाकर कहना चाहिए कि वे आत्मसमर्पण कर दें ताकि कोई भी मारा नहीं जाए...कोई ये क्यों नहीं कहता कि मैं उनको लेकर आता हूं. हम अपना ऑपरेशन रोक देंगे. हम लोगों को हमारा ऑपरेशन रोकने और आतंकियों को भाग जाने की अनुमति नहीं दे सकते. इन सबके विपरीत सुरक्षा बलों पर ही पत्थरबाजी कर लोग एक तरह से सुरक्षा बलों को अधिक आक्रामक होने के लिए उकसाते हैं.
4. जून, 2016 तक सब शांतिपूर्ण रहा. उसके बाद एक एनकाउंटर (हिजबुल आतंकी बुरहान वानी) से हालात बदल गए. उसके चलते कुछ ही दिनों में सब चीजें बदल गईं. पूरा दक्षिण कश्मीर सड़कों पर उतर आया. हमारे ऊपर पत्थरबाजी होने लगी और हमारी पोस्ट पर हमले शुरू हो गए. उसी साल अक्टूबर-नवंबर तक मुझे ये संदेश मिलने लगे कि लोग कह रहे हैं कि आजादी अब दूर नहीं है. कुछ लोग उनसे कह रहे थे कि आजादी अब जल्दी मिलने वाली है. हमारे पोस्ट पर नियमित हमले होने लगे. हमारे लोगों पर पत्थरबाजी होने लगी. हमें परिस्थितियों को अपने नियंत्रण में लाना पड़ा. हम इसको सहन नहीं कर सकते. हमें लोगों को यह बताने की जरूरत है कि आजादी जैसा कुछ भी नहीं होने वाला है...ये कोई पहला एनकाउंटर तो था नहीं. मैं अभी तक यह समझ की कोशिश कर रहा हूं कि लोगों में इतना गुस्सा कहां से आया. युवा पाकिस्तानी जाल में फंस गए. उनको लगातार हम पर हमले के लिए उकसाया जाता है.
5. हम चाहते हैं कि राजनेता और राजनीति क प्रतिनिधि खासकर दक्षिण कश्मीर के गांवों में जाकर वहां के लोगों से बात करें. लेकिन हमले की आशंका के कारण उनको वहां जाने से डर लगता है...एक बार शांति स्थापित होने के बाद यह संभव होगा और हमें भरोसा है कि लोगों को जब लगेगा कि ये सब बेफिजूल है तो वे दूसरी तरह से सोचना शुरू करेंगे.
6. ऑपरेशन के दौरान आम लोगों के नुकसान के बारे में बोलते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में वह मिलिट्री ऑपरेशन को रोकने के लिए भी तैयार हैं लेकिन साथ ही जोड़ा, ''लेकिन इस बात की गारंटी कौन देगा कि हमारे जवानों और गाडि़यों पर हमला नहीं होगा? इस बात की गारंटी कौन देगा कि जब हमारे पुलिसकर्मी, जवान, राजनीतिक कार्यकर्ता छुट्टियों में घर जाएंगे तो उन पर हमले नहीं होंगे? उनको मारा नहीं जाएगा?...छुट्टियों में गए हमारे निहत्थे जवानों पर हमला किया जाता है...लेफ्टिनेंट उमर फयाज का केस याद कीजिए. हमने उनको शहीद करने वालों को मार गिराया लेकिन इसके लिए हमको अपने चार जवानों की शहादत देनी पड़ी.
7. इस वक्त घाटी में एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है. जो आतंकी सरेंडर करना चाहते हैं,वे हमसे कहते हैं कि प्लीज ये मत बोलिए कि हमने सरेंडर किया है. वे चाहते हैं कि ऐसा नहीं दिखना चाहिए कि उन्होंने सरेंडर किया. वे यह भी नहीं चाहते कि हम कहें कि उनको पकड़ा गया. वे चाहते हैं कि एनकाउंटर के दौरान वे घायल हो गए और इस कारण पकड़े गए. दरअसल उनमें भी भय है, वर्ना और क्या वजह हो सकती है?
8. कश्मीर में कई युवा आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट(आईएस) के झंडे लहराते हैं. क्या आपको इसका मतलब भी पता है? क्या आप कश्मीर का तालिबानीकरण करना चाहते हैं? क्या उस तरह के समाज में रहना चाहते हैं? ये युवा लोग दरअसल इसका मतलब ही नहीं समझते...कोई न कोई तो इनको उकसा ही रहा है.
9. कश्मीर के लोगों को यह समझना चाहिए कि इन अवरोधों का असर विकास पर पड़ रहा है. पर्यटन पर इसका बेहद बुरा असर पड़ा है. हाउसबोट और गेस्टहाउस खाली पड़े हैं. वे लोग क्या खाएंगे जब कुछ कमाएंगे नहीं?''
10. बहुत जल्दी कश्मीर घाटी को पूरे भारत से जोड़ने वाली एक ट्रेन शुरू होने वाली है. कल्पना कीजिए लोगों की जिंदगियों में इसका कितना बड़ा असर होगा. सोपोर में सेब उगाने वाले अपने माल को बिना किसी परेशानी के देश के किसी भी हिस्से में इसे भेज सकेंगे. लोगों को विकास की यह बात समझनी चाहिए और आभार प्रकट करना चाहिए क्योंकि ये दो-तरफा प्रकिया है.