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डायरी दिनांक ०५/०९/२०२२

5 सितम्बर 2022

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डायरी दिनांक ०५/०९/२०२२

  सुबह के आठ बजकर तीस मिनट हो रहे हैं ।

  सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति बनने से पूर्व वह दर्शन शास्त्र के अध्यापक थे। भारतीय दर्शन के तो वह प्रकांड पंडित थे। आक्सफोर्ड और कैंब्रिज विश्वविद्यालयों में अनेकों बार मेहमान प्रवक्ता के रूप में उन्होंने अपने ज्ञान को विदिशी छात्रों के मध्य तक पहुंचाया था। आज उन्हीं सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की जयंती है। उनकी जयंती को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में मैं उन सभी शिक्षकों के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं जिन्होंने मुझे शिक्षा दी थी। शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में मैं अपने विभाग के उन वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों का भी आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने मेरी नौकरी के आरंभिक काल में मुझे बताया था कि किस तरह विभागीय समस्याओं का निस्तारण किया जाता है। आज भी तकनीकी समस्याओं के समाधान के लिये मैं जिन सहयोगियों से सहायता लेता हूँ, उन सभी को अपने शिक्षकों के समान मानते हुए उनका धन्यवाद करता हूं।

   शिक्षक समाज का निर्माता होता है। शिक्षक समाज को नवीन दिशा देता है। मात्र विद्याध्ययन करा देने से एक शिक्षक के कर्तव्यों की इति श्री नहीं हो जाती है। अपितु जब तक समाज में कोई भी असमानता शेष रहती है, एक शिक्षक का कर्तव्य शेष रहता है।

  एक शिक्षक किस तरह राष्ट्र को बदल सकता है, इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण आचार्य चाणक्य हैं। आचार्य चाणक्य मगध देश के नागरिक थे। मगध उस समय भारत के सबसे शक्तिशाली राज्यों में से एक था। दुर्भाग्य से मगध का राजा नंद एक विलासी राजा था। आचार्य चाणक्य के अथक प्रयासों से उनका योग्य शिष्य चंद्रगुप्त मोर्य मगध का शासक बना। तथा फिर चंद्रगुप्त मोर्य ने लगभग पूरे भारत वर्ष को एकसूत्र में बांध दिया था।


    कल देश के प्रमुख उद्योगपति श्री साययस मिस्त्री का सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। मिस्त्री जी टाटा समूह के प्रमुख शेयर होल्डर और उद्योगपति थे। टाटा समूह ने उन्हें अपना चैयरमेन नियुक्त किया था। हालांकि चैयरमेन के रूप में वह बहुत अधिक समय तक टाटा समूह को अपनी सेवाएं दे नहीं पाये। भले ही कुछ लोग मिस्त्री जी के विरोधी रहे हैं, उसके उपरांत भी टाटा समूह में मिस्त्री जी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।

  स्वतंत्र भारत की एक बिडंबना ही मानी जा सकती है कि जब भी किसी साधारण परिवार में जन्मे व्यक्ति ने अपनी योग्यता और परिश्रम से किसी प्रतिष्ठित राजनैतिक या व्यावसायिक परिवार की बराबरी की, उसकी मृत्यु किसी न किसी दुर्घटना में अथवा संदिग्ध परिस्थितियों में हो गयी।

   अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम। 

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