डायरी दिनांक ११/०९/२०२२
शाम के छह बजकर दस मिनट हो रहे हैं ।
विगत दिनों विभागीय कार्यों में जैसी व्यस्तता रही, वह व्यस्तता आज महसूस की। आज का तर्पण, अग्यारी आदि संपन्न करने के बाद गौ ग्रास देने के उपरांत भोजन कर जरा आराम करने लेटा तो लगभग तीन घंटे सोता ही रहा। दोपहर की दवा लेने में भी देर हो गयी।
महादेवी वर्मा जी छायावाद की प्रमुख कवयित्री थीं। उन्हें छायावाद के चार प्रमुख स्तंभों में से एक कहा जाता है। उनकी कविताओं का स्तर इतना अधिक ऊंचा होता है कि उन कविताओं में से सही भाव को पकड़ पाना हमेशा ही अति कठिन रहा है। कविताओं के अतिरिक्त गद्य साहित्य में उनके लेख और संस्मरण बहुत प्रसिद्ध हुए हैं। आज उन महान लेखिका की पुण्य तिथि है।
महादेवी वर्मा जी का जन्म फर्रुखाबाद जनपद में हुआ था। हमारी प्रतिलिपि बहन आद्या शक्ति भी फर्रुखाबाद की ही हैं। बहुत दिनों से उनकी कोई रचना नहीं पढी और न हीं उन्होंने मेरी किसी रचना पर अपनी कोई समीक्षा दी है। ऐसा लग रहा है कि वह कुछ दिनों से प्रतिलिपि से दूर हैं।
आज एक साहित्यिक कार्य को भी पूर्ण करना था। पर आलस्य का आलम यह रहा कि वह कार्य आरंभ भी नहीं हो पाया। अब देखते हैं कि वह कार्य कब तक आरंभ हो पाता है।
ब्रिटेन की महारानी और संसार की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से एक महारानी ऐलिजाबेथ का निधन हो गया है। वह सबसे अधिक समय तक ब्रिटेन पर शासन करने बाली महारानी रही हैं। महारानी ने अपनी आंखों से हिटलर को भी देखा और विराट कोहली को अपना ७१ वां शतक बनाते हुए भी देखा था।
इस संसार में कोई भी चिर काल तक नहीं रह सकता है। सभी को एक न एक दिन इस संसार से विदा लेनी ही है। फिर वह कितना भी शक्तिशाली व्यक्ति क्यों न हो।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।