डायरी दिनांक २४/०९/२०२२
रात के आठ बजकर दस मिनट हो रहे हैं ।
विगत दिनों जिस तरह तेज बारिश हुई है, उससे जनजीवन एकदम अस्त व्यस्त सा हो गया है। अभी भी जनपद एटा के बहुत सारे गावों में विद्युत आपूर्ति सही नहीं हुई है। बहुत सारे पुराने घर और पुराने वृक्ष अपनी परम गति को प्राप्त हो गये हैं। बहुत से घरों में गलियों का पानी भर गया। एटा जनपद के कुछ बड़े प्रशासनिक अधिकारियों के आवासों तथा उनके आवास की गलियों का पानी भी मोटर द्वारा निकाला गया।
वास्तव में इस तरह की दुर्दशा के लिये हम सभी लोग भी उत्तरदायी हैं। पोलीथीन तथा उसी तरह के पदार्थों से नाले अवरुद्ध होते रहते हैं। तथा जब उन नालों और नालियों पर बारिश का पानी बहा ले जाने की जिम्मेदारी आती है, वे इसमें असमर्थ हो जाते हैं।
पड़ोस के एक ब्राह्मण परिवार के सदस्यों में कुछ विवाद हो गया। एक ही परिवार के सदस्यों के मध्य मतभेद हो सकता है, इसमें कोई गलत बात नहीं है। पर गलत बात थी - पुरुष सदस्यों द्वारा उन गालियों का प्रयोग करना जो कि महिलाओं को आधार बनाकर तैयार की गयी हैं। लोग क्रोध में यह तक भूल जाते हैं कि वह जिन महिला के माध्यम से किसी को गाली दे रहे हैं, वह परिवार की ही बहू या बेटी है। वास्तव में इसी को संस्कार हीनता कहा जाता है। क्रोध को विवेक नष्ट करने बाला कहा जाता है। पर क्रोध किसी के चरित्र को इस तरह नीचे गिरा सकता है, ऐसा अनुमान न था।
कभी मिश्र के लोगों के मध्य मृतक को ममी बनाकर रखने की परिपाटी थी। हजारों सालों से आज तक बहुत सी लाशें ममी बन सुरक्षित रखी हुई हैं। आज ममी तैयार करने की विधि पूरी तरह किसी भी वैज्ञानिक को ज्ञात नहीं है। ऐसे में कानपुर से एक अनोखा मामला सामने आया है। एक कोरोना मरीज के शव को अंतिम संस्कार के लिये एक वर्ष पूर्व उनके परिजनों को दे दिया गया। पर परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार नहीं किया। अपितु उस शव की जीवित की भांति देखभाल करते रहे। उन्हें न जाने क्यों लग रहा था कि वह युवक जीवित है (कोमा में है)। प्रशासन की जानकारी में बात पहुंचने पर उस युवक का शव कब्जे में लिया गया। शव की पुनः जांच हुई। अनोखा तथ्य यह आया कि उस युवक की लाश ममी जैसी बन चुकी थी। परिजनों ने किसी भी तरह का लेप लगाने जैसी बात से इंकार किया है। हाॅ गंगाजल से उसके शरीर की नित्य साफ सफाई करना स्वीकार किया है। यह सूचना आज दिनांक, २४/०९/२०२२ के अखबार अमर उजाला में प्रमुखता से प्रकाशित हुआ है।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।