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विरह

7 जनवरी 2022

49 बार देखा गया 49
लो आ गई विरह की बेला,
अब तो आजा एक बार,
मेरे दिलवर,
ऑंखें तरस रही है।
आ कर एक बार मिल लो,
मेरे दिलवर।
क्या जिंदगी में तुझ से कभी,
मिल भी पाऊँगी या नही,
एक बार आ जाओ  मेरे दिलवर,
विरह की बेला आ गई।
आँखों से बरसती है बारिश,
रातों को,
न जाने कितने गिलाफओं को,
भींगोया है।
अब तो आजा  मेरे दिलवर,
विरह की बेला आ गई,
ऑंखें रास्ता देख रही है।
अपने दिलवर के आने की,
आखरी घड़ी है आखरी पल है।
अब तो आजा  मेरे दिलवर,
विरह की बेला आ गई है।
कहीं ये पल  ये रेना इसी इंतजार में,
न बीत जाय की,
मेरे दिलवर भी न आये और,
विरह की बेला आ  जाय ।।


10 जनवरी 2022

10 जनवरी 2022

10 जनवरी 2022

10 जनवरी 2022

सुकून

सुकून

जी शुक्रिया 🙏💐

7 जनवरी 2022

sayyeda khatoon

sayyeda khatoon

बेहतरीन 👌👌👌

7 जनवरी 2022

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रचनाएँ
सच और झूठ
5.0
ये किताब सच और झूठ आप सब जरूर पढ़िएगा क्यों की आज कल लोग झूठ बोल कर बहुत खुश रहते हैं।
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सच और झूठ (भाग -3)

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साल 2022

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विरह

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लो आ गई विरह की बेला,अब तो आजा एक बार,मेरे दिलवर,ऑंखें तरस रही है।आ कर एक बार मिल लो,मेरे दिलवर।क्या जिंदगी में तुझ से कभी,मिल भी पाऊँगी या नही,एक बार आ जाओ मेरे दिलवर,विरह की बेला आ गई।आँखों से

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वो उनकी आखरी मुलाक़ातबहुत याद आती है।वो बहुत तड़पाती है तुम्हारीआखरी मुलाक़ात।❤❤❤❤❤❤❤वो चला गया मुड़ कर भी नहीदेखा मैने कैसे जिया।पता है वो तेरी आखरी मुलाक़ात,ही मेरे जीने कासबब बन गया।❤❤❤❤❤❤❤❤❤अब वो तेरी

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परियों की दुनिया का पता नहीमैं तो अपने माँ बाबा की ही परी हूँमेरे से ही उनके आँगन मेंखुशियाँ बिखरी हैपरियों की दुनिया का पता नही।मैं तो ही हूँ अपने भैया की प्यारीलाडली परी बन करइठलाती फिरती हूँप

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त्यौहार ही तो एक होता हैजो नही समझता है, कौन अमीर है कौन गरीब है,सब मिलजुल कर मनाते हैं। &n

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जातिवाद और धर्म भेदभाव

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शीर्षक--जातिवाद और धर्म की जंजीर इंसानियत का फैला दो पैगाम,दुनिया में होगा इसका अच्छा परिणाम,जातिवाद और धर्म के भेदभाव को,भूल कर खुद को दे दो इनाम।न हवाओं पर लिखा है जाति और धर्म,न खून पे लिखा

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