31 दिसम्बर 2021
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D
Nice
10 जनवरी 2022
Bahut sundar
अब तो लोग झूठ को सच,<div>समझ कर खुशियाँ मानने,</div><div>लगे हैं।</div><div>अब ये दर्द हम अपना किस,<
हमें आया ही नही समझ,<div>की मीठे झूठ बोल कर,</div><div>रिश्ते निभाने अपनों से।</div><div>हमने थोड़ा स
इस दुनिया एक ही ऐसे,<div>इंसान आप को मिलेंगे।</div><div>जो आपके झूठ और सच,</div><div>को आपकी,</div><
दो पल क्या मांग लिया,<div>आप से सच्ची ख़ुशी,</div><div>के लिए आप तो हम से,</div><div>ऐसे बिछड़ गए।</di
आ गया आने वाला पल,<div>2022</div><div>कुछ अच्छा सोचा है तो,</div><div>आगे भी अच्छा ही होगा।</div><div>यही सोच कर,</div><div>सबको अपने आने वाला,</div><div>पल में।</div><div>चलना होगा एक दूसरे के,</div>
जिंदगी में तो हर रोज एक,<div>नई शुरुआत करना</div><div>पड़ता है।</div><div>बस वो कभी कभी,</div><div>खुद से हार जाती है।</div><div>और </div><div>फिर से खुद को जीतने,</div><div>की एक नई शुरुआत करती ह
हमारा परिवार भी तो,एक खूबसूरत,फुलबारी होता है।जिसमें कितने सारे,पेड़ पौधे हम सब होते हैं।हर पेड़ पौधा अपने अपने,परिवार के साथ हँसते,मुस्कुराते लड़ते झगड़ते,ख़ुशी और गम के साथ,हर मुश्किल में अपन
लो आ गई विरह की बेला,अब तो आजा एक बार,मेरे दिलवर,ऑंखें तरस रही है।आ कर एक बार मिल लो,मेरे दिलवर।क्या जिंदगी में तुझ से कभी,मिल भी पाऊँगी या नही,एक बार आ जाओ मेरे दिलवर,विरह की बेला आ गई।आँखों से
वो उनकी आखरी मुलाक़ातबहुत याद आती है।वो बहुत तड़पाती है तुम्हारीआखरी मुलाक़ात।❤❤❤❤❤❤❤वो चला गया मुड़ कर भी नहीदेखा मैने कैसे जिया।पता है वो तेरी आखरी मुलाक़ात,ही मेरे जीने कासबब बन गया।❤❤❤❤❤❤❤❤❤अब वो तेरी
क्या होता है कॉलेज के दिन, जिन्होंने कभी गया नही
एक बेटी अपने पापा की परी होती है। तो एक बेटा भी अपनी माँ का जिगर होता है। फिर क्यों एक बेटी का दर्द दीखता है ज़मान
चलो प्रतिलिपि जी आपकेबहाने हम भी सोच लियाकी कभी न कभी हम भीकर लेंगे विदेश यात्रा।वरना रह जायगी ये आसअधूरी की हमने क्यों नहीकी विदेश यात्रा।यात्रा तो विदेश हो या देश की यात्रा करनी चाहिए जरूर 
परियों की दुनिया का पता नहीमैं तो अपने माँ बाबा की ही परी हूँमेरे से ही उनके आँगन मेंखुशियाँ बिखरी हैपरियों की दुनिया का पता नही।मैं तो ही हूँ अपने भैया की प्यारीलाडली परी बन करइठलाती फिरती हूँप
त्यौहार ही तो एक होता हैजो नही समझता है, कौन अमीर है कौन गरीब है,सब मिलजुल कर मनाते हैं। &n
खुशी कहाँ मिलती, खुशी जहाँ दिखती नही है,वहाँ से भी, ढूढ़ने वाले ढूंढ़ लेते हैं। अपनी खुशी,खुशी कहाँ रह
जिंदगी की सीख, कभी कभी हमें,गलती करने से भी, मिल जाती जिंदगी में,उस गलती से जो सीख, हमें मिलती है वो हमें,जि
मुश्किल है पर असंभव नही होता, है सच के राह पर,चलना थोड़ा मुश्किल है। पर चलते जाना है,बिना रुके अपनी स
जिंदगी के कुछ उसूल होते हैं, चाहे वो रिश्ता,हों या सफलता,सभी के लिए एक उसूल,
शीर्षक--जातिवाद और धर्म की जंजीर इंसानियत का फैला दो पैगाम,दुनिया में होगा इसका अच्छा परिणाम,जातिवाद और धर्म के भेदभाव को,भूल कर खुद को दे दो इनाम।न हवाओं पर लिखा है जाति और धर्म,न खून पे लिखा