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सच और झूठ (भाग -2)

19 दिसम्बर 2021

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हमें आया ही नही समझ,
की मीठे झूठ बोल कर,
रिश्ते निभाने अपनों से।
हमने थोड़ा सा कड़वा
सच कहा तो हमारे,
रिश्ते ही मुरझा गये।
 कड़वे सच की,
वजह से।
अब करें तो क्या करें,
मीठे झूठ को अपना लूँ,
या कड़वे सच के साथ
जी लूँ अपनी जिंदगी,
अकेले अकेले।
हमें आया न समझ,
हम किसे अपनायें,
मीठे झूठ को या,
कड़वे सच को।

Navneet Kumar

Navneet Kumar

Very nice

10 जनवरी 2022

Krihnamurari

Krihnamurari

👌👌👌👌

10 जनवरी 2022

Rukesh kumar

Rukesh kumar

Very nice

10 जनवरी 2022

10 जनवरी 2022

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रचनाएँ
सच और झूठ
5.0
ये किताब सच और झूठ आप सब जरूर पढ़िएगा क्यों की आज कल लोग झूठ बोल कर बहुत खुश रहते हैं।
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