क्या होता है कॉलेज के दिन,
जिन्होंने कभी गया नही
होगा कॉलेज।
कभी उनसे भी पूछना ये,
बात तो आप भी रो पड़ोगे
उनकी दास्तां दर्द भरी सुन कर।
जिन्होंने कॉलेज जाने के पल,
को अपनी जिम्मेदारीयाँ निभाने
में गुजार दिया हो अपने कॉलेज,
के दिनों में।
उन्हें क्या पता क्या होता होगा
कॉलेज के दिन,
उन्हें तो बस किताबों और कहानियों
के संग अपने कॉलेज के दिनों,
को बस सोचा कर जिया करते होंगे।
अगर हमें भी रब ने ये जिम्मेदारीयाँ
नही देते तो,
हमारे भी कोई प्यार की कहानी बनती,
हमारे भी अधूरे सपने पूरे होते
कॉलेज के दिनों में।
हम भी अपने यारों दोस्तों के संग
हँसते मुस्कुराते,
अपनी कहानियाँ सुनाते कॉलेज के
दिनों की।
कॉलेज की दिनों की कहानियाँ तो,
उन्होंने अपनों कीजिम्मेदारीयों
के संग बीता दिया।
काश उनकी भी जिंदगी में आते,
कॉलेज के दिन।
जिन्होंने अपनों के लिए अपनी,
खुशियाँ लुटा दिया
भुला कर कॉलेज के दिनों को।
अपनी मेहनत और मजदूरी में,
खो कर बस अपनी जिम्मेदारीयाँ
निभाई।।
पूरी की कॉलेज के दिनों में