किताबे क्या है समझ जाओगे
प्रेमि का एक पृष्ठ पढ़ लीजिए...
जख्म मरहम है दीवानों का
इश्क नशा है दीवानों का
बे-करारिया बहुत है यहां
रात को बस करवटें हैं यहां
मोहब्बत क्या है समझ जाओगे
निगाहें किसी से मिला लीजिए...
विक्रय में कल्पना के हम हारे हुए
स्वप्न हमीं से हमारे जीते हुए
प्रणय जीवन समर में संग्राम क्या
किसी की निगाहों में अंजाम क्या
मधु से तुम भी महक जाओगे
हार इससे में ज़रा मिला लीजिए...
सांस अब लड़खड़ाती हुई,
दिल की धड़कन तुमको बांधे हुए..
गाल निस्प्रभ होते हुए,
आंख चित्त में तुमको धारे हुए..
जीवन में अपने मिले ही कहा
कमरे हमीं , चित्र तुम्हारे सदा
दर्द क्या समझ जाओगे
दिल किसी से लगा लीजिए...
- रोहित कुमार "मधु"