भूल करो, लगते समझदार से
वंचित न रह जाना तुम प्यार से
गलियों में आना जरा संभाल के
कदम हर एक रखना संभाल के
मौसम खराब, चलना संभाल के
हर घर दफ्तर खुले अखबार से...
बुला लेना तुम, मुझे पुकार के
आ जाऊंगा, मैं दर - वार के
पांच उपवास, मंगल - वार के
करने थे सोलह सोमवार से...
-रोहित कुमार "मधु"
Rohit Kumar "Madhu"