।।गीत।।
तुम्हारे घर को सनम बता दो
इतना क्यों तुम सवर रहे हो
तुम्हारी गलियां,तुम्हारी महफ़िल
फिर क्यों इतना शिंगर रहे हो...
नया लहंगा, नया है काजल
नई है बिंदिया, नए है पायल
आंखों में कुछ अलग चमक है
होठों पे कुछ अलग दमक है
इतना न मुस्कुराओ मोहन
समझ सही तुम नजर रहे हो...
जो देखे वो भूल न पाए
जो चाहे वो जी न पाए
घुंघटे से तो आओ बाहर
खिड़की से तो देखो बाहर
दरवाजा न खुल्ला छोड़ो
समझ सही तुम नगर रहे हो...
-रोहित कुमार "मधु"