गुरुजी नीतीश कुमार प्रकरण पर कुछ प्रकाश डालने की कृपा करे ताकि भूलोक राजनीति की सच्चाई से अवगत हो सके
ऐसा कहकर विनोदग्नी अपने त्रिकालदृष्टा गुरु पाराशर मुनि के चरणों में हाथ जोड़कर बैठ गया।
गुरुदेव कमंडल से नर्मदा जल लेकर कुछ मंत्र का जप किया और बहुत देर बाद नेत्र खोले _ हे जिज्ञासु शिष्य इस प्रश्न का उत्तर जानने हेतु कुछ पुरातन कालचक्र पर दृष्टि डालनी पड़ेगी
मुख्यमंत्री पद पिपासु नीतीश बाबू को लेकर ये को कुछ बिहार में हो रहा है यह सब बस आने वाले वक्त में जो होने वाला है उसकी भूमिका बनाई जा रही है बस ताकि बिहार की और देश की जनता के बीच नीतीश कुमार की छबि दानवीर कर्ण की तरह दिखे न की के हारे हुए योद्धा की तरह।
विनोदाग्नि ने आश्चर्य से पूछा भला वे हारे हुए योद्धा कैसे हो सकते हैं वे आज भी मुख्यमंत्री है और शायद चिरकाल तक बने रहने की संभावना है क्योंकि वे " जहां दम वहां हम " को साधना बड़ी अच्छी तरह जानते हैं?
यही तो दृष्टि भ्रम पैदा करने की कोशिश करी जा रही है प्रिय शिष्य _ मुनि पाराशर बोले
असल में इस बार उनके ऊपर महाराष्ट्र का शिंदे फार्मूला का वार हो गया जो बिलकुल नवीन शस्त्र है इसमें जिसने कोई भी सदस्य पार्टी नही छोड़ता और पार्टी के विपरीत कार्य कर सकता है अंत में पार्टी का अध्यक्ष ही पार्टी से बाहर हो जाता है और पूरी पार्टी किसी और की हो जाती है, इस बार इस अमोक दियास्त्र का उपयोग लालू पुत्र ने नीतीश के विरुद्ध कर दिया।
आनन फानन में नीतीश को लालू खेमे में कूदना पड़ा।
शिष्य इस बार आश्चर्य चकित हो गया _ वो भला कैसे विस्तार से वर्णन करने की कृपा करें
मुनि उवाच _ जब नीतीश कुमार को ये लगा की अब तो पार्टी गई और उसके साथ इतने दिनो से बनाई साख भी दांव पर लग गई तो वे लालू पुत्र के पास गए की एक सम्मानजनक ढंग से बिहार की राजनीति से विदा लेना चाहते है, वे पहले तो हमेशा की तरह चिर मुख्य मंत्री पद पर बने रहना चाहते थे पर लालू पुत्र ने दो साल पहले किए उनके धोखे को याद दिला कर इस प्रस्ताव से इंकार कर दिया।
इतना कहकर मुनि ने कुछ देर का विराम लिया और पुनः प्रचचन देने लगे
अब नीतीश कुमार ने नया फार्मूला दिया की सिर्फ दो या तीन महीनो के लिए उन्हें अपने पद से हटाया जाए, इस बीच वे एसा भ्रम फैला देगे कि अब वे भारत भ्रमण पर निकालना चाहते हैं ताकि सभी भूलोक के विपक्षियों को एकजुट कर सके और भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकना है ।
बस ऐसी घोषणा कर वे मुख्य मंत्री पद का त्याग कर देगे।
ऐसी स्थिति में उनकी इज़्जत कुछ हद तक बच सकती है और वे केंद्रीय राजनीति में त्रिस्कृत होने से बच सकते हैं।
तो बस कुछ वक्त का इंतजार करो और देखो की उनका इस्तीफा कब तक आता है।
विनोदग्नि ने इतनी देर में गुरुजी के लिए चिलम तैयार कर दी थी।
विनोदाग्नि अपने गुरु के ज्ञान के सामने नतमस्तक खड़ा था और गुरुजी उत्तिष्ठ भारत कहकर उठे और नर्मदा के अगले घाट की ओर चल पड़े।
विनोद पाराशर