मेरा जमीर नहीं की हार मान जाऊ ।
मै मेहनत ना करू ये खुद मै मान नहीं सकता हूं
हर मंजर से गुजर के भी मुकाम को हासिल किया
आज भी नए मुकाम के लगा हूं
और मेहनत से दोस्ती कर बैठा हूं
दुश्मनी मेरा आलास से गहरी है
कोशो दूर एक दूजे से हम रहते है
मेरा जमीर नहीं की हार मान जाऊ ।
मै मेहनत ना करू ये खुद मै मान नहीं सकता हूं
हर मंजर से गुजर के भी मुकाम को हासिल किया
मेहनत में ना दिन ना रात लगता है
बस जी जान से खुद को झोकना होता है
हौसला भी खुद तैयार हो जाता है
मन में अडिग निर्णय बन जाता है
मेरा जमीर नहीं की हार मान जाऊ ।
मै मेहनत ना करू ये खुद मै मान नहीं सकता हूं
हर मंजर से गुजर के भी मुकाम को हासिल किया
हर सफलता का एक राज होता है
उसके पीछे रातों में लड़ी समय होता है
सफलता में खुशियां नजर आता है
पीछे की मेहनत की आग नहीं दिखता है