भूल गए तुम शौक से
मगर हम कभी भूल न पाएंगे
सोचे थे जिंदगी की सैर में साथ निकलेंगे
मगर तुम अभी से ही हाथ छुड़ा लिए हो
कोई नही बेशक तुम भूल जाओ
तुम चाह के भी मेरा चाहत कम न कर पयोगी
जब से देखा हु और अजीवन तुमको माना हु
और जीवन की हर दौर में चाहूंगा
खुश हूं मेरा मोहब्बत रूह से है तेरा
वरना मुझे भी तुमसे नफरत हो जाता
और कोशिश भूलने की हजार करता मैं
मगर मैं तुमको याद करके खुद को खुश
पाता हु और एक पल भी दूर हुए बिना मुझसे
अहसाह जो रूह से मोहब्बत की है
बहुत कम को समझ आएगा जो जिस्म से दूर
मगर मन से मिल जाता हु और सुकून की एहसाह है
तुम क्या समझोगी मेरा हाल जो कही और खुश हो
मगर मेरा प्यार भी गजब का है
जो किसी से प्यार की उम्मीद भी नही करता है
बस खुद से करो मोहब्बत जो दिल में है
चाहत रखूं तुमसे तो मेरा रूह की मोहब्बत कैसे
कर ले मुझ सा मोहब्बत कोई तुमसे
तो जान उसे खुशी से दे दू अपना
मगर तुम न अब समझोगी
रूह की आवाज रूह से है
जो दिल की दर्द बखूबी सुन लेता है