सत्य वो विचार है,
जिसको बोलने के लिए ना डर और न दिखावा है।
मगर झूट वो सत्य है,
जिसमें फरेबी और धोखे का बोलबाला है।
सत्य वो विचार है,
जिसमे टिके राजा हरिश्चंद्र व श्री राम का स्वरूप है।
मगर झूट वो सत्य है,
जिसमे अंहकार और रावण का विचार है।
सत्य वो विचार है,
अग्नि सी पवित्र और सूर्य का चमकता प्रकाश है।
मगर झूट वो सत्य है,
जिसमें पाप और अमावस की अंधेरी रात है।
सत्य वो विचार है,
जिसमें त्याग और कठोर परिश्रम का भाव है।
मगर झूट वो सत्य है,
जिसमें भोगी और आलस का विचार है।
सत्य वो विचार है,
जिसमें निर्भीक और कर्मयोगी की राह है।
मगर झूट वो सत्य है,
जिसमें डर और कुविचार का भाव हैं।
सत्य वो विचार है
जिसमें अथक मेहनत और हौसला का चाह है।
मगर झूट वो सत्य है,
जिसमें स्वार्थ और अमानवीय कार्य का भाव है।
सत्य वो विचार है,
जिसमें मानवीय कर्तव्य और इंसानियत का सार है।
मगर झूट वो सत्य है,
जिसमें राक्षसी भाव और हैवानियत का तार है।