भारत माँ के वीर जवानों का,वो शौर्य निराला होता है।थर-थर-थर काँपता दुश्मन है,जयघोष अनोखा होता है।।ऐ दुश्मन तुम अब सुधर जाओ,कश्मीर की अब न रटन लगाओ।कश्मीर तो तुम ना पाओगे,तुम सिंध भी अपना गँवाओगे।।कारगि
हिम है - पानी है,धूल है - काँटे हैं,धूप है - अँगारे हैं, देखो जांबाज जवानों के, पथ कितने न्यारे हैं। जय हिंद!!
टिकरी बॉर्डर से।इतिहास गवाह है, राणा भी काफिले में आया था।मरने के बाद आज भी उनका काफिला आबाद है।देश की उन तमाम सड़को के किनारे बसें है।जिन्हें लोग बैलगाड़ी वाले लोहार कहते है।वह प्राचीन इतिहास को जिंदा किए हुए अपनी जिंदा दिली से जिए जा रहे है। उस वक्त की सरकार उन्हें बा
माटी को संवारने वाला अन्न का दाता काली सड़कों पर अपने हक के लिए अड़ा है। खुले रूप से मिले सबको ताजा ताजा, पैकेटों में बंद होकर बिकने वाली चीजें, उनके हक और न्याय के लिए अड़ा है। लाल बहादुर शास्त्री ने दिया था नारा... "जय जवान जय किसान" आज दोनों को एक दूसरे के सामने खड़ा देखा है। राजनिति ने बेटियां,
दिल्ली कूच न करो, दिल्ली के सारे बॉर्डर सील करोजय जवान, जय किसान एक दूसरे के आमने सामने।पहले किसान बाप, बेटा जवान, हक में आमने सामने।बदल गई नज़ीरे, जो कभी मन में उमंग भरती रही।पहले के आंदोलनों से नेता निकले, आज आंदोलन नेता के लिए।देश जहाँ था वही है, और टुकड़ों में बट गया। इंसान की सोच पहले भी ज़हर उगला
सब सेवक बन गए है।पेड़ में बैठने वाले पंछी कहाँ जाएंगे? जब पेड़ ही धरा में समा जाए। इस वजह से पेड़ की तुलना प्रवासी मजदूर व प्राइवेट नौकरी से है।अगर नदी का पानी सूख भी जाए, तब भी नाव नदी में रहेगी पानी न सही रेत काफी है। इस वजह से नदी की तुलना सरकारी नौकरी से है।पहाड़ो में औषधि है, राजनीति में पैसा है। स
लाल बहादुर शास्त्री, जिनका प्रधानमंत्री काल बहुत कम रहा, पर जनता के दिलो-दिमाग पर बहुत गहरा असर छोड़ गया. कल तक उनके विरोधी भी आज उनकी बात करते है, उनको महान बताते है. उनके दिए नारे " जय जवान, जय किसान " की बात करते है. आज की राजनीति ने उस नारे में से जय किसान निकाल दिया अ