दिल्ली कूच न करो, दिल्ली के सारे बॉर्डर सील करो
जय जवान, जय किसान एक दूसरे के आमने सामने।
पहले किसान बाप, बेटा जवान, हक में आमने सामने।
बदल गई नज़ीरे, जो कभी मन में उमंग भरती रही।
पहले के आंदोलनों से नेता निकले, आज आंदोलन नेता के लिए।
देश जहाँ था वही है, और टुकड़ों में बट गया। इंसान की सोच पहले भी ज़हर उगला आज भी ज़हर उगल रही है।
नीतियाँ न साफ होने के कारण मुगली साशन का विरोध हुआ। अंग्रेजी हुकूमत का विरोध हुआ। कांग्रेस का विरोध हुआ।
उसी नक़्शे कदम में आज की सत्ता चल पड़ी, बदलाव भी विरोध का कारण बन जाता है। अब डेरा डालो, अपनी माँग भरो का नारा लगाओ।
आज की सरकार बिना कर और कारण के दिमाग से पैदल होती जा रही है।
दिल्ली सबकी थी दिल्ली सबकी रहेगी। पहले लोग कहते थे दिल्ली चलो, आज भी कहते है दिल्ली चलो , अरे भाई वक्त बदल रहा देश बदल रहा है। तो किसान दिल्ली क्यो आ रहा है? दिल्ली कूच न करो, दिल्ली के सारे बॉर्डर सील करो। दिल्ली खुद आपकी बाहों में आ जायेगी।