वाराणसी की जिला अदालत ने मीडिया को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के जारी एएसआई सर्वे का कवरेज करने से रोक दिया. अदालत ने सर्वे टीम के सदस्यों को किसी भी मीडिया आउटलेट से प्रतिक्रिया नहीं देने को कहा. जिला अदालत का आदेश मुस्लिम पक्ष के लिए राहत भरी खबर है. अंजुमन इंतजमिया कमेटी ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वे का मीडिया को कवरेज करने से रोकने की मांग की थी. बुधवार को मुस्लिम पक्ष के प्रार्थना पत्र पर अदालत ने आदेश सुनाया. ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे का आज (10 अगस्त) सातवां दिन है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की इजाजत मिलने के बाद एएसआई सर्वे कर रहा है. अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर से मीडिया को सर्वे की रिपोर्टिंग नहीं करने का भी आदेश दिया. आदेश में कहा गया है कि सर्वे टीम के सदस्यों को मीडिया में बयान नहीं देना चाहिए. हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि अदालत ने सलाह दी है कि शांति भंग होने की आशंका के मद्देनजर ज्ञानवापी मुद्दे की रिपोर्ट को सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं किया जाना चाहिए.
अदालत में क्या था मुस्लिम पक्ष का तर्क?
अंजुमन इंतजामिया कमेटी का कहना था कि सर्वे टीम या किसी अधिकारी की तरफ से बयान नहीं आया है. लेकिन अखबार, न्यूज चैनल और सोशल मीडिया पर लगातार भ्रामक खबरें चल रही हैं. इसलिए अदालत से मांग की जाती है कि भ्रामक समाचारों को प्रसारित होने से रोकने का आदेश पारित किया जाए. बेबुनियाद खबरों का प्रसारण नहीं रोकने पर रविवार को मुस्लिम पक्ष ने जारी सर्वे के बहिष्कार की भी चेतावनी दी थी. अंजुमन इंतजमिया कमेटी ने आरोप लगाया था कि सर्वे के दौरान शनिवार को कुछ मीडिया समूह की तरफ से मस्जिद में मूर्ति, त्रिशूल और कलश पाए जाने की झूठी खबरें प्रसारित करने पर मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं.