प्राचीन काल में ‘करवा’ नाम की एक पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी किनारे एक गाँव में रहती थी । कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी (चौथ) के दिन उसका पति नदी में स्नान करने के लिए गया । स्नान करते समय एक मगर (मगरमच्छ) ने उसका पैर पकड़ लिया । वह’ करवा करवा’ नाम लेकर जोर-जोर से अपनी पत्नी को पुकारने लगा ।
उसकी आवाज सुनकर उसकी पत्नी दौड़कर आई और उसने मगर को कच्चे धागे से बाँध दिया । मगर को बाँधकर वह यमराज के यहाँ पहुँची और यमराज से बोली-भगवान! मगरमच्छ ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है।
अतः पैर पकड़ने के अपराध में आप अपने बल से उस मगरमच्छ को 18 नरक में ले जाओ यमराज ने कहा-अभी मगरमच्छ की आयु शेष है, अतः मैं उसे नहीं मार सकता । इस पर करवा ने कहा-यदि आप ऐसा नहीं करोगे तो मैं आपको श्राप देकर नष्ट कर दूँगी ।
यह सुनकर यमराज डर गये और उस पतिव्रता स्त्री करवा के साथ जाकर मगरमच्छ को उन्होंने यमपुरी भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु प्रदान की । उसी दिन से यह करवा चौथ मनाई जाती है और सुहागिन स्त्रियों के द्वारा व्रत रखा जाता है । हे करवा माता ! जैसे तुमने अपने पति की रक्षा की, वैसे सबके पतियों की रक्षा करना।
सभी माताओं और बहनों की करवाचौथ की अनंत शुभकामनाएं