ध्वस्त होते पुराने समाज, व्यक्ति-मूल्यों तथा नई आकांक्षाओं के बीच जिस अर्थद्वन्द को जन-सामान्य झेल रहा है, उसकी टकराहटों से उपजी, भयावह अन्तःसंघर्ष को रेखांकित करती हुई ये कहानियों पाठक को सहज ही अपनी-सी लगने लगती हैं। घर का जोगी जोगड़ा आन गाँव का सिद्ध का अर्थ है ' अपने गाँव घर की अपेक्षा अन्यत्र अधिक सम्मान '। गाँव में पहुँचे हुए ज्योतिषी हैं लेकिन उन्हें कोई सम्मान नहीं देता दूसरी ओर पड़ोस के गाँव में रहने वाले भीखू पंडित से सब अपना हाथ दिखाते हैं सच है घर का जोगी जोगड़ा आन गाँव का सिद्ध।
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