अपने प्यासे अधर दिखा कर किसी
से जल का दान न माँगा,
इसीलिए शायद हर पनघट मुझसे नाराज
रहा ll
ख्वाबों में देख रहा ख्वाबों
को,
जो न कल था और न ही आज रहा
ll
हर सांस महकती रहती थी,
वो भी क्या दिन थे,
अब तो न वो आवाज रही और न ही
वो साज़ रहा ll
मुझमें कोई फर्क नहीं है,
जैसी मेरी मंजिल है वैसा ही आगाज़
रहा ll
सूरज की अनुपस्थिति सदा डराती
थी मुझको,
फिर भी मन मेरा जाँबाज़ रहा
ll
शक्शियत मेरी कठिनता से है भरी,
ह्रदय का होना न होना भी एक राज़
रहा ll
एक
राज़ है, मैं एक राजा हूँ,
सर
पर मेरे एक ताज़ रहा ll
कभी
स्नेह की चादर तन पर थी,
कभी
बूँद बूँद मोहताज़ रहा ll
बदल
दिया है नियम प्रकृति का,
जैसा
कल था वैसा ही आज रहा ll
उमर
ने गति पकड़ी रुक रुक कर,
पर
अनुभव मेरा उम्रदराज़ रहा ll
भादों
ने सावन खिला दिया है, कहिए कैसा मेरा अंदाज़ रहा ll