बेखबर की खबर मिल गई,
इक नई सी सहर मिल गई।
यूँ मिली है़ नज़र से नज़र,
जिंदगी रहगुजर मिल गई।
इश्क का यूँ तजुर्बा मिला,
हुस्न की इक लहर मिल गई।
थम गईं हैं सभी आंधियां,
धूप में फिर शजर मिल गई।
हुस्न खिलने लगा दिन-ब-दिन,
प्यार की जब महर मिल गई।
#बाग़ी
29 सितम्बर 2021
हार्दिक धन्यवाद...💐🙏
11 अक्टूबर 2021